Home छत्तीसगढ़ राज्यपाल के पास अटका 76% रिजर्वेशन बिल, बढ़ी सरकार की मुश्किलें

राज्यपाल के पास अटका 76% रिजर्वेशन बिल, बढ़ी सरकार की मुश्किलें

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रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण बिल पास होने के पश्चात् अब मामला राज्यपाल के पास आकर अटक गया है। बिल को संवैधानिक मान्यता देने के लिए अब सबकी नजरें राज्यपाल की तरफ हैं, मगर अभी तक राज्यपाल अनुसूईया उइके ने साइन नहीं किए हैं।

वहीं, इस मामले में राज्यपाल का कहना है कि मैंने केवल आदिवासी वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। मगर सरकार ने सभी का आरक्षण बढ़ा दिया। साथ ही कहा कि जब अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण को ही अवैधानिक कह दिया है तो 76 फीसदी आरक्षण का बचाव सरकार कैसे करेगी।

धमतरी पहुंचीं राज्यपाल अनुसूईया उइके ने आरक्षण विधेयक पर कहा कि उच्च न्यायालय ने 2012 के विधेयक में 58 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को अवैधानिक कर दिया था। इससे राज्य में असंतोष का वातावरण था। आदिवासियों का आरक्षण 32 से घटकर 20 फीसदी पर आ गया। तत्पश्चात, सर्व आदिवासी समाज ने पूरे राज्य में जन आंदोलन आरम्भ कर दिया था। सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों ने आवेदन दिया। इसके बाद मैंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक पत्र लिखा था। मैं व्यक्तिगत रूप में भी जानकारी ले रही थी। मैंने केवल जनजातीय समाज के लिए ही सत्र बुलाने की मांग की थी।

राज्यपाल ने कहा कि मैंने सुझाव के रूप में कहा था कि अध्यादेश लाना हो तो अध्यादेश लाइए, विशेष सत्र बुलाना हो तो वह बुलाइए। अब इस विधेयक में ओबीसी समाज का 27 फीसदी, अन्य समाज का 4 फीसदी एवं एससी समाज का 1 फीसदी आरक्षण बढ़ा दिया गया है। अब मेरे सामने ये सवाल आ गया कि जब अदालत 58 फीसदी आरक्षण को अवैधानिक घोषित कर चुका है तो यह 76 फीसदी कैसे हो गया। राज्यपाल उइके ने कहा कि सिर्फ आदिवासी का आरक्षण बढ़ा होता तो परेशानी नहीं होती। अब मुझे यह देखना है कि दूसरे वर्गों का आरक्षण कैसे तय हुआ है। रोस्टर की तैयारी क्या है। एससी, एसटी, ओबीसी एवं जनरल वर्ग के संगठनों ने मुझे आवेदन देकर विधेयक की जांच करने की मांग की है। उन आवेदनों का भी मैं परीक्षण कर रही हूं। बिना सोचे-समझे हस्ताक्षर करना ठीक नहीं होगा।