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करोड़ों की लकड़ियों की तस्करी का भंडाफोड़, फॉरेस्ट विभाग ने की बड़ी कार्रवाई, दो दिनों में लाखों का सागौन जब्त’

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छत्तीसगढ़ में सघन वन क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर में पिछले कुछ सालों से लगातार बेशकीमती लकड़ियों की तस्करी हो रही है. सबसे ज्यादा सुकमा जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार तस्कर सक्रिय होकर बेशकीमती सागौन पेड़ों की अवैध कटाई कर इसकी तस्करी कर रहे हैं. दरअसल बस्तर संभाग में सबसे अधिक सागौन के पेड़ सुकमा जिले में मौजूद है और ऐसे में अर्न्तराज्जीय तस्करों की नजर बस्तर के सागौन के जंगलों में होती है और हर साल इन तस्करों द्वारा करोड़ो रुपये के सागौन लकड़ियों की कटाई कर इसकी तस्करी करते हैं. हालांकि बीते 2 दिनों तक लगातार चली कार्यवाही में सुकमा वन विभाग की टीम ने सागौन चिरान की तस्करी कर रहे तस्कर गिरोह द्वारा तालाब और जंगलो में छिपाए गए लगभग 25 लाख रुपये के सागौन चिरान जब्त करने में सफलता हासिल की है.

सुकमा वन मंडल के जिला अधिकारी थेजस एस. ने बताया कि जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र फुलबगड़ी और मुरटुंडा बीट में लगातार सागौन पेड़ों की कटाई और इसके चिरान की तस्करी करने की जानकारी मिल रही थी. जिसके बाद वन प्रबंधन समिति और विभाग की उड़नदस्ता टीम द्वारा इन तस्करों के धरपकड़ के लिए लगातार दो दिनों तक कार्रवाई की गई, और इलाके में सर्चिंग के दौरान अवैध रूप से जंगल में और तालाब में छुपा कर रखें गए सागौन के चिरान वन विभाग की टीम ने जब्त किए. टीम ने 15 घन मीटर सागौन के चिरान जब्त किया, जिसकी कीमत 25 लाख रुपए आंकी गयी है.

इधर लगातार टीम द्वारा आसपास इलाके में सर्चिंग किया जा रहा है और कुछ लोगों के घरों में भी दबिश दी गई है, वन विभाग की टीम को जानकारी मिली है कि अंतरराज्यीय गिरोह के तस्कर आसपास के कुछ लोगों की मदद लेकर सागौन पेड़ों की अवैध कटाई कर इन्हें जंगलों और तालाब में छुपाते हैं और उसके बाद रात होने पर इसकी तस्करी कर ले जाते हैं.

ऐसे में लगातार वन विभाग की टीम द्वारा आसपास इलाकों में सर्चिंग अभियान भी चलाया जा रहा है. DFO ने बताया कि पिछले ढाई महीनों में 35 लाख रुपए के सागौन चिरान जब्त किए गए है साथ ही एक चार पहिया वाहन को भी राजसात किया गया है.

हालांकि इन सभी मामलों को अंजाम देने वाले तस्कर वन विभाग की टीम को चकमा देकर फरार होने में कामयाब हो गए. DFO ने कहा कि कई बार तस्कर वन अमले पर जान लेवा हमले भी कर चुके हैं, ऐसे में लंबे समय से राज्य और केंद्र सरकार से वन अमला को सुरक्षा की दृष्टि से वेपंस देने की भी मांग की जा रही है ,लेकिन अब तक सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है.