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भाव से ही भव को पार किया जा सकता है – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

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डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है । आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि दक्षिण भारत में पूजा कि अष्ट द्रव्य आदि सामग्री को टोकरी में रखकर लाया जाता है । उस अष्ट द्रव्य में जो तिसरी द्रव्य होती है यहाँ आप लोग चाँवल चढाते हैं और वहाँ धान चढ़ाया जाता है । जबकि धान से ही चाँवल प्राप्त किया जाता है । इसके पीछे एक रहस्य है जिसे भेद विज्ञान कहा जाता है । धान जो होता है उसे किसान समय आने पर अपने खेत पर बो देता है जिससे वह अधिक धान प्राप्त करता है यदि वह एक मुट्ठी धान बोता है तो वह लगभग एक बोरा भरकर धान प्राप्त कर लेता है । जबकि उसी धान को यदि कूटा जाये तो उससे चाँवल प्राप्त होता है जिसे आप लोग पका कर भात बनाते हो । धान से चाँवल को मशीन के द्वारा भी निकाला जाता है परन्तु उससे प्राप्त चाँवल खाने योग्य नहीं होता है । इसके बारे में हम आपको फिर कभी बतायेंगे । चाँवल को बोया नहीं जाता क्योंकि उससे दोबारा चाँवल पैदा नहीं हो सकता है । वह अजित्व हो चुका है । इसलिये आप लोग पूजा में चाँवल चढाते है और अर्घ्य पढ़कर भगवान से प्रार्थना करते हैं कि भगवान हमें भी आप कि तरह अक्षय पद प्राप्त हो और इस चाँवल कि तरह हमें भी दोबारा जन्म ना लेना पड़े । आप लोग कहते रहते हो कि रोज – रोज वही पूजा पढने से क्या होगा । ऐसा नहीं है यदि आप लोग उत्साह पूर्वक अच्छे भाव से प्रतिदिन भगवान कि पूजा करेंगे तो आपको पुण्य बंध अवश्य होगा और इसका फल निश्चित ही आपको प्राप्त होगा । भाव से ही भव को पार किया जा सकता है । धान से जब चाँवल निकल जाता है तो शेष जो छिलका बचता है उसे ना तो आप पका सकते हैं और ना ही खेत में बो सकते हैं । जबकि उसी छिलके में जब चाँवल रहता है तो वह बीज का काम करता है और उसे धान कहा जाता है । आप लोग प्रतिदिन अष्ट द्रव्य से पूजा करते हैं और हर एक द्रव्य को चढाते समय जो बोलते हैं वह बहुत अच्छा लगता है । इसी तरह अच्छे – अच्छे द्रव्य कि तरह आके भाव भी अच्छे रहेंगे तो आपका कल्याण होना निश्चित है । आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य प्रतिभास्थली कि  रूचि दीदी परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन  (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी । श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है । यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है । यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है । यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है । कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके । उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी निशांत जैन (निशु) ने दी है ।