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शील और संयम धारण कर नर से नरसिंह बन सकते हैं – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

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डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि एक जंगल में कई प्रकार के जीव रहते हैं कुछ शाकाहारी तो कुछ मांसाहारी वे सभी वन में रहकर अपना जीवन यापन करते हैं | एक दिन रास्ते से एक कछुवा धीरे – धीरे जा रहा था तभी वहाँ एक सिंह (वनराज) आ जाता है और उस कछुवे को अपना शिकार बनाने के लिये उसकी ओर बढ़ता है | वनराज जंगल का राजा कहलाता है और उसे ही जंगल का सबसे शक्तिशाली जानवर कहा जाता है उससे किसी भी वन्य प्राणी का बचना बहुत मुश्किल है | राजा के पास केवल खजाने मात्र से वह सफल राजा नहीं कहलाता उसके पास  सूझ – भूज, सही नीति, धर्म का ज्ञान और शक्तिशाली होना भी आवश्यक है |  सिंह को अपनी ओर आते देख कछुवा अपने शरीर के सभी अंग को समेट लेता है | सिंह बहुत प्रयास करता है कि उसको किसी तरीके से अपना आहार बना सकूँ वह उसके चरों ओर घुम – घुम कर मानो उसकी परिक्रमा लगा रहा हो देखता और बहुत कोशिस करने पर कुछ नहीं होता तो वह कुछ अपनी आवाज एवं संकेत से दूसरे सिंह को बुलाता है तभी वहाँ एक और सिंह आ जाता है और दोनों मिलकर बहुत प्रयास करते हैं कि किसी तरह इस कछुये का शिकार किया जाए परन्तु वे ऐसा करने से असफल रहते हैं | दो – दो वनराज जब उस कछुवे का कुछ नहीं कर पाते तो उनको बहुत लज्जा एवं शर्म आती है फिर वे वहाँ से चले जाते हैं | कछुवा जब देखता है कि दोनों सिंह वहाँ से चले जाते हैं तो वह आगे बढ़ता है तभी वहाँ एक वाहन उसके ऊपर आकर खड़े हो जाता है जिसमे से कुछ विदेशी उतरते हैं | इस बार भी कछुवे को कुछ नहीं होता है | इसी प्रकार जो नर शील और संयम को अपने जीवन में धारण करता है उसे कोई पराजित नहीं कर सकता और उसके लिये हर कार्य संभव हो जाता है | ऐसे नर को ही नरसिंह कहा जाता है | आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी नेहा  दीदी प्रतिभास्थली परिवार को प्राप्त हुआ जिसके लिए चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन  (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |