डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि आषाढ़ शुदी चतुर्दशी का यह दिन है जहाँ – जहाँ श्रमण संघ और आर्यिका संघ सारे – सारे एक ही स्थान पर 4 मास तक या दीपावली तक रहने का संकल्प करते हैं | नियोग से चंद्रगिरी पर यहाँ अपना भी चातुर्मास होने जा रहा है | आप सभी लोग बहुत दिनों से चातुर्मास कि मांग कर रहे है | इस साल 1 माह अधिक आ गया है जिससे यह चातुर्मास 5 माह का हो गया है | यह छत्तीसगढ़ का होनहार क्षेत्र अपनी धीमी गति से ही सही आगे बढ़ता जा रहा है | जहाँ पर अध्यक्ष जी किशोर हैं जो इस कार्य को बहुत जल्दी ही पूर्ण करेंगे ऐसा हमारा विश्वास है | समय – समय पर वस्तुओं का मूल्य बढ़ता जा रहा है | करना तो आपको है चलना तो आपको है हम अवश्य आशीर्वाद देते हैं | गुरु जी ने हमारे निमित्त से प्रति वर्ष जहाँ कहीं भी चातुर्मास हो 108 कलश दे दिया योग से चंद्रगिरी को यह मिला | अब आप भी 108 लगा रहे हैं गुरु जी ने बहुत पहले ही हमारे आगे 108 लगा दिया था | कुछ लोग 108 कि जगह १००८ लगा देते हैं | अभी नहीं हूँ लेकिन बनना चाहता हूँ | यह सभी को भावना भाना चाहिये कि 108 से १००८ सभी के आगे लगे रास्ता तो यही है | इस कलश को सुरक्षित रखते हैं ताकि कहीं कोई गड़बड़ न हो और आगे के लिये जो शेष पथ है साथ है अपने जीवन में चलते रहे | यह संयम पथ मोक्षमार्ग में ले जाने वाला है | अहिंसा धर्म योग से विश्व में फैलता जा रहा है | कई स्थानों पर भयंकर आपदाये बाढ़, भूकंप, तूफ़ान आदि आ रहे हैं | लोगो को अब लग रहा है कि इससे हम अहिंसा के पालन करने से ही बच सकते हैं | नेपाल में एक भूकंप आया था जिसके पूर्व में ही उन्होंने एक लाख गौ वंश का वध किया था | उसके बाद ही यह हुआ | निरपराध जीव को इतनी वेदना देने से वेदनासमुदघात के परिणाम स्वरुप यह हुआ था | हमें भी कभी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिये जिससे कोई आहत हो और संकट आ जाये | दयामय धर्म को ही एक मात्र शरण मानकर चलना चाहिये | तीर्थंकरों ने इसे उच्च स्थान दिया है | यदि सभी संकट से मुक्त होना चाहते हो तो यही दयामय धर्म मूल है | बिना प्रयोजन के पाप करते चले जाते हैं और राम के स्थान पर रावण बन जाते हैं | रावण राम का एक बाल भी बाका नहीं कर पाया और राम ने रावण को मिटा दिया | इस कारण रावण को नरक जाना पड़ा जो आगे जाकर इसी धर्म को अपनाकर मोक्ष को प्राप्त करेगा | आप पतित से पावन बनना चाहते हैं और पवित्र कार्य करते हैं तो निश्चित ही आपके जीवन में वह पल आएगा और आपका मुख मोक्ष मार्ग कि ओर हो जायेगा | मोह या मोक्ष जाना आपके हाथ में है | भगवान ने हमेशा – हमेशा यह अभय का हाथ दिखाया है | यह अभय का प्रतिक है | प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक जीव को यह भावना भानी चाहिये चत्तारी मंगलम, चत्तारी लोगुत्मा, चत्तारी शरणम पव्जामी | पंच परमेष्ठी ही हमारे लिये उत्तम है, मंगल है और शरण है | प्रभु हम कही भी चले जाये यह उत्तम मंगल शरण न बिछुड़े यह हमारे साथ बने रहे | हमने चातुर्मास का बड़ा प्रतिक्रमण कल ही कर लिया | कई लोग उत्साह के साथ आ रहे हैं | जो यहाँ अपनी भी स्थापना कर रहे हैं | तो हम भी देखे इनकी स्थापना कैसे होती है | अपनी कूबत को देखते हुए गृहस्थ आश्रम में रहते हुए यह कार्य कर रहे हैं | श्रमण और श्रावक धर्म के दो पहिया है | एक पहिया यदि नहीं रहा तो गाडी आगे नहीं बढ़ेगी | आप अपने पहिया में बीच – बीच में तेल डालते रहिये हम भी आप लोगो के लिये आशीर्वाद देते हैं | ये गाडी हमेशा आगे बढ़ते रहती है यदि आपको इसमें जाना है तो इसका टिकट लेना अनिवार्य है जिसमे एक टिकट में एक ही व्यक्ति आ सकता है यहाँ आप अपने परिवार के बेटे, बहु, नाती, पोते किसी को भी साथ में नहीं लेजा सकते | इस धरती पे जन्म – मरण अकेले ही होता है कोई न साथ में आता है न ही साथ में जाता है | यदि आप चलते – चलते ज्यादा पीछे हो जायेंगे तो हम आपके लिये न ही रुकेंगे और न ही आवाज़ देंगे ताकि आप जल्दी – जल्दी आगे आ जाओ | आपके रुकने से पीछे जो आ रहे हैं उनको बाधा होगी | हमारे आगे बहुत लम्बी चौड़ी लाइन है जो मंजिल तक पहुच गए है वहाँ जाकर उनसे मिलेंगे और पीछे भी लाइन लगी हुई है जो यहाँ से देव बनकर आगे जाकर सीमंधर स्वामी के पादमूल में कलश चढ़ाएंगे | चिंता न कर चिंतन करो इसी के कारण संसार लगा हुआ है | परिवार आदि कि चिंता करने कि आवश्यकता नहीं है इस कारण से विलंभ हो सकता है लेकिन जल्दी है तो जल्दी – जल्दी आओ | मोक्षमार्ग और मोहमार्ग अनादिकाल से चल रहा है और अनादिकाल तक चलता रहेगा | मोह मार्ग में नशा बहुत है | मोक्ष मार्ग में रात में भी दिन जैसा प्रकाश दिखेगा | सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान सम्यग्चारित्र मोक्षमार्ग में आवश्यक है | सभी को सदगति मिले ऐसी हमारी भगवान से भावना है | इतनी जनता आयी है कहाँ करोगे इनकी व्यवस्था सुनते हैं समवशरण में कितने भी आ गए सब समा जाते हैं | आज आचार्य श्री ससंघ का उपवास है | आज श्री विद्यासागर महाराज ससंघ के चातुर्मास कलश स्थापना 2 जुलाई २०२३ दिन रविवार को बहुत हर्षोलास के साथ हुई | जिसमे सैकड़ो कि संख्या में धर्मावलम्बियों ने भाग लिया और चातुर्मास कलश के लिये अपनी सहमती देकर अपना नाम दर्ज करवाया | जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन,निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन,मनोज जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की आचार्य क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |