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चांद, सूरज के बाद अब अंतरिक्ष की बारी, क्या है इसरो की अगली तैयारी !

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रायपुर (विश्व परिवार)। चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और सूरज की ओर बढ़ने के बाद इसरो ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा हुआ है. पिछले 11 दिन में इसरो ने ये दो इतिहास रचे हैं, आने वाले समय में भी ऐसे ही कई मिशन के लिए हिन्दुस्तान तैयार है. शनिवार को श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 की सफल लॉन्चिंग के बाद इसरो के हौसले बुलंद हैं. अब भारत की नज़र अगले मिशन पर है, जिसका मकसद अंतरिक्ष का अध्ययन करना है.

इसरो की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन तारे, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, पल्सर पवन निहारिका जैसे खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन तंत्र जटिल भौतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है और इसे समझना चुनौतीपूर्ण है. पोलारिमेट्री माप दो और आयाम को जोड़ेंगे, ध्रुवीकरण की डिग्री और ध्रुवीकरण का कोण और इस प्रकार यह खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन प्रक्रियाओं को समझने का एक बेहतरीन तरीका है. यानी इस मिशन का मुख्य मकसद अंतरिक्ष के बारे में अधिक जानकारी हासिल करना है.

इसरो ने बीते दिनों में रचे ये इतिहास:

चंद्रयान-3: भारत का मिशन चंद्रयान-3 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया. ऐसा करने वाला भारत पहला देश बना था, इसके विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगातार चांद की सतह पर रहकर कई प्रयोग कर रहे हैं.

आदित्य एल-1: चांद के बाद भारत ने सूरज का रुख किया और आदित्य एल-1 लॉन्च किया. 2 सितंबर को ये मिशन लॉन्च किया गया जिसका मकसद सूर्य का अध्ययन करना है, ये 4 महीने में एल-1 पॉइंट तक पहुंचेगा इसके बाद अपना मिशन लॉन्च करेगा. अभी तक दुनिया के तीन देश ही एल-1 तक पहुंच पाए हैं.