Home धर्म - ज्योतिष मन, वचन काय की संरलता ही आर्जव  धर्म है : पंकज भैया

मन, वचन काय की संरलता ही आर्जव  धर्म है : पंकज भैया

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नवापारा राजिम – दिगंबर जैन समाज द्वारा पर्वाधिराज पर्युषण के तृतीय दिवस उत्तम आर्जव धर्म की आराधना पूजा संपन्न हुई। उत्तम आर्जव धर्म का लक्षण है मन को स्थिर करने वाला, पाप को नष्ट करने वाला, सुख को बढ़ाने वाला। इसलिए इस भव में आर्जव धर्म को आचरण मे लाएं जैसा शुभविचार मन में लाएं वैसा दूसरों से भी किया जाए मन वचन की सरलता ही आर्जव धर्म है। मन से माया शल्य को निकाल दो और पवित्र आर्जव धर्म का विचार करो क्योंकि मायाचारी करने वालों का जप व्रत तप सब निरर्थक है। जहां कुटिल परिणाम का त्याग कर दिया जाता है वहीं पर आर्जव धर्म प्रकट होता है।आर्जव धर्म के दिन सौधर्म इंद्र बनकर शांति धारा पूजन करने का परम सौभाग्य राजकुमार रवि वीर परिवार को प्राप्त हुआ । दोपहर में आज भक्तांबर विधान हुआ वहीं रात्रि में  आरती सौधर्म इंद्र रवि जैन के निवास से बाजे गाजे के साथ शोभायात्रा के रुप में मंदिर जी में आकर श्री जी की भक्ति भावना से आरती भक्ति की गई। भोपाल से पहुंचे संगीतकारों द्वारा आरती में सभी को आकर्षक नृत्य कराकर भक्ति कराई गई। भगवान की भक्ति में बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी वर्ग के महिला पुरुष आदि ने बढ़ चढ़कर भाग लिया ।भक्ति का अलौकिक दृश्य देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इंद्रपुरी में देव गण  भक्ति कर रहे हो । सभी सामाजिक जन उत्साहपूर्वक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं ।शांतिधारा राकेश, सत्यम, शुभम चौधरी, प्रदीप, आकाश, अक्षत एवं प्रेमचंद, अनुराग, अमर जैन को यह अवसर प्राप्त हुआ। दिगंबर जैन पंचायत कमेटी के अध्यक्ष किशोर सिंघई  ने जानकारी देते हुये बताया की रात्रि में त्रिशला महिला मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन संपन्न होगा।