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मानव हो तो मानव की तरह ही संसार में रहना पड़ेगा – मुनि पुंगव श्री सुधासागरजी महाराज

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  • पर को भोगने की बजाय स्वयं को भोगो ये ब्रह्मचार्य हैं
  • अखिल भारतीय श्रावक संस्कार शिविर के समापन पर शोभायात्रा निकाली आज

आगरा – मानव हो तो मानव की तरह ही जगत में रहना पड़ेगा मानवीय व्यवहार के साथ ही जीवन में मानवता छलकना चाहिए आपके व्यवसाय व्यवहार वाणी में मानवता के लक्षण परिलक्षित होगे तो स्वता तो सकारात्मक सन्देश जायेगा आज धर्म को लोग साधन बना रहे हैं यही धार्मिक लोगों की भूल है जब व्यक्ति के मन में भाव आ जायें कि धर्म करने से मेरी समस्या हल हो जाती है तो धर्म आपको पारलौकिक आनंद से आप वंचित हो जाएंगे ऐसे धर्म करने वाले लोग संसार में भरे पड़े हैं जो व्यक्ति धर्म से सुख सुविधाएं चाहते हैं वह सब मिलेगा पुण्य के बगेर इस जगत में सुख समृद्धि मिल नहीं सकती जो कुछ भी वैभव आपके पास है ये सब पुण्य के उदय में ही मिल रहा है हमें स्वयं को भोगने को कहा था हम दूसरों को भोग रहे हैं उपादान दृष्टि ब्रह्मचारी व्रत का कारण है किसान के पास दो बैल है एक उदय है वह दूसरे बैल की घास को भी खा जाता है तो किसान उसके नकेल डालकर इतनी कठोरता से बाधंता है कि अपनी घास तक नहीं खा पाता ऐसे ही ये संसारी प्राणी अपने सुख को छोड़ कर दूसरे को भोगने की चाह रखेगा तो वैल की तरह ही व्यवहार होगा इसलिए यहां दूसरे को भोगने की चाह को अब्रह्म कहा गया है उक्तआश्य के उद्गार मुनिपुंगव श्रीसुधासागर जी महाराज ने अखिल भारतीय श्रावक संस्कार शिविर की विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए हरि पर्वत आगरा में व्यक्त किए।

  • शिविर में जगत कल्याण के लिए महा शान्ति धारा की

मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि दस दिवसीय अखिल भारतीय श्रावक संस्कार शिविर के समापन पर आगरा शहर के प्रमुख मार्गों से जिन वंदना एवं तपस्वीयो की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी इसके बाद एम डी जैन कालेज हरि पर्वत पर भव्य समापन समारोह में पुण्यर्जक परिवारो सहित शिविर टापरो सम्मान किया जायेगा इसके पहले आज ब्र प्रदीप भइया शुयस विनोद भ इया सुकांत भइया के मंत्रोच्चार के वीच भगवान का अभिषेक किया गया तद उपरान्त जगत कल्याण की कामना के लिए महा शान्ति शिविर निर्देशक हुकम काका कोटा आनंद जैन सुमति जैन मुम्बई सुमन दगरा व्यावर मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा राहुल सिंघई अशोक नगर शिविर पुण्यर्जक निर्मल कुमार वीरेन्द्र कुमार मोढया हीरालाल दिव्य कुमार वैनारा राजेश जैन गया वालों के साथ अन्य भक्तों द्वारा की गई जिनका सम्मान कमेटी के अध्यक्ष  प्रदीप जैन PNC नीरज जैन (जिनवाणी)- महामंत्री निर्मल कुमार जैन मोट्या-कोषाध्यश मनोज कुमार  बाकलीवाल- मुख्य संयोंजक पी०एल० बैनाडा कार्याध्यक्ष हीरालाल बैनाड़ा – स्वागतध्यक्ष जगदीश प्रसाद जैन – ललित जैन (डायमन्ड)अमित बाबी राजेश जैन गया बाई के जैन श्री विमल मारसंस भोलानाथ सिंघंई  जितेन्द्र कुमार जैन शिखर चंद सिघई ने किया 

  • धर्म को अपने भोग विलास में सामिल ना करें

उन्होंने कहा कि धंम्मभोग निमित्तम धर्म को आप अपने भोग विलास मेंशामिल कर रहे हो भक्तामर से आप भोग विलास चाह रहे हैं सब सांसारिक साधनों को प्राप्त करने के लिए धर्म कर रहे हैं दूसरों को मिटा देने के लिए धर्म कर रहे हैं मायाचारी के लिए मैं दूसरे को ठगने के लिए पंच इन्द्रीय के विषयों को पाने के लिए भगवान का नाम ले रहा है धर्म कर रहे हैं इससे धर्म का सही फल मिलने वाला नहीं है कितने लोग हैं जो परिग्रह को पाने के लिए अबंह्म कर रहे हैं उनको साधन बना रहे हैं जो इन सब को छोड़ चुके हैं उनसे भी आप भोग विलास और संसारी सुख की चाह रखते हैं आप सीनियर का मार्ग दर्शन लिया जाता है लेकिन आप किसका सहयोग ले‌ रहें जिनने सब कुछ छोड़ दिया है हम एक पुण्यात्मा को पाप में शामिल कर रहे हैं ऐसे जिन देव सब कुछ छोड़ दिया उनसे अपने भोगों की पूर्ति करना चाह रहे हैं

  • जिनदर्शन ही ऐसा है जहां सब कुछ समर्पित किया जाता है

 उन्होंने कहा कि संसार में सब लोग कहीं ना कहीं भगवान के पास जायेंगा वहां कोई खाली हाथ नहीं जाता लेकिन कुछ चढ़ा कर वापिस आ जाता है कुछ तो नारियल की कील बस चढ़ाते हैं और पूरी चटक खुद खा लेते हैं जिन दर्शन ही संसार में ऐसा है जहां सब कुछ चढ़ दिया जाता है एक दाना भी वापिस नहीं लाते भगवान को चढ़ाएं गई वस्तु को हम पूरी समर्पित कर देते हैं ।