नई दिल्ली
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की देशभर में इम्प्लॉयीज के वित्तीय भविष्य की सुरक्षा में अहम भूमिका है। यह रिटायरमेंट सेविंग प्लान की पेशकश करता है। इससे नौकरी के बाद लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल सिक्योरिटी सुनिश्चित होती है। हालांकि, बड़ी संख्या में इसके मेंबर ईपीएफओ के कुछ नियमों के बारे में नहीं जानते हैं। उन्हीं में से एक है लॉयल्टी-कम-लाइफ बेनिफिट प्रोविजन। ईपीएफ अकाउंटहोल्डर इस प्रावधान के तहत 50,000 रुपये तक का बड़ा लाभ पा सकते हैं। शर्त सिर्फ एक है। इस बेनिफिट का पात्र होने के लिए ईपीएफ खाते में लगातार 20 साल तक कॉन्ट्रिब्यूशन करना होगा।
फायदा उठाने के क्या है पात्रता?
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ईपीएफ सब्सक्राइबरों को पुरस्कृत करने के मकसद से लॉयल्टी-कम-लाइफ बेनिफट पहल की सिफारिश की थी। यह उन लोगों के लिए है जो दो दशकों तक अपने खातों में लगातार कॉन्ट्रिब्यूशन करके अटूट प्रतिबद्धता दिखाते हैं। बाद में केंद्र सरकार ने इस योजना को मंजूरी दे दी। इससे पात्र सब्सक्राइबरों का 50,000 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलता है।
फायदे के लिए एलिजिबिलिटी व्यक्ति की वेतन सीमा पर निर्भर करती है। 5,000 रुपये तक का मूल वेतन पाने वाले व्यक्तियों को 30,000 रुपये का बेनिफिट मिलता है। जबकि 5,001 रुपये से 10,000 रुपये के बीच कमाने वालों को 40,000 रुपये मिलते हैं। 10,000 रुपये से अधिक मूल वेतन वाले व्यक्ति इस प्रोग्राम के तहत अधिकतम 50,000 रुपये के लाभ के लिए पात्र हैं।
कर्मचारियों को क्या करना चाहिए?
ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को यह बिनिफिट उठाने के लिए उसी ईपीएफ खाते में योगदान जारी रखना सुनिश्चित करना चाहिए। फिर भले ही वे नौकरी बदल लें। मौजूदा ईपीएफ खाते को जारी रखने के फैसले के बारे में पिछले और वर्तमान दोनों नियोक्ताओं को सूचित करना योगदान की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
ईपीएफओ ग्राहकों के पास अपने रिटायरमेंट बेनिफिट बढ़ाने और संगठन की ओर से प्रदान किए गए लॉयल्टी-कम-लाइफ बेनिफिट का फायदा उठाने का अवसर है।