अफगानिस्तान में अभी भी अफीम का भारी भंडार है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की नई रिपोर्ट में दावा किया गया है।
यह जानकारी ऐसे वक्त सामने आई, जब तालिबान ने अपने देश में अफीम की खेती पर रोक लगाई हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि मौजूदा भंडार का इस्तेमाल नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले नेटवर्क की जरूरतों को पूरा करने में हो सकता है।
वहीं, भारतीय अधिकारियों ने बताया कि भारत में तस्करी की जाने वाली अधिकर ड्रग्स अफगानिस्तान से आती है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI समुद्री मार्ग से नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाले नेटवर्क को कंट्रोल करती है।
तालिबान पर लगे प्रतिबंधों की निगरानी करने वाली यूएन की टीम ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया, ‘अफगानिस्तान में अफीम पोस्त की खेती पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद, बड़े पैमाने पर इसका भंडार मौजूद है जो नशीले पदार्थों के व्यापार को जारी रखे हुए है।
अफागानिस्तान में अफीम का भंडार इतना बड़ा है कि जब्ती होने से भी निर्यात में कोई अंतर नहीं दिखता है। अफीम का यह भंडार कितना होगा, इसे लेकर अलग-अलग अनुमान हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि खेती पर प्रतिबंध के प्रभाव का पूरी तरह से आकलन करने में कई साल लग सकते हैं।
अधिकारी और व्यापारी भी तस्करी में शामिल
यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2022 में तालिबान ने पोस्त की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, इसके प्रभाव का आकलन करना अभी भी जल्दबाजी होगी।
ऐसा इसलिए क्योंकि तालिबान के सीनियर अधिकारी और बड़े व्यापारी अभी भी मादक पदार्थों की तस्करी से लाभ कमा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन से जुड़े अधिकारी भी नशीली दवाओं के व्यापार में शामिल हैं और इससे मोटा लाभ कमा रहे हैं।
वहीं, हक्कानी नेटवर्क हेरोइन की तस्करी और मेथामफेटामाइन की सप्लाई के लिए लंबे समय से स्थापित बिचौलियों को लगाए हुए है।
नंगरहार प्रांत के तालिबान गवर्नर मोहम्मद नईम बारिच खुदायदाद नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए पूर्वी मार्ग को नियंत्रित करते हैं, जबकि बल्ख प्रांत के गवर्नर यूसुफ वफा का नॉर्थ रूट पर कंट्रोल है।
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