बंगलूरू । हाल ही में कर्नाटक में कथित भूमि घोटाले को लेकर भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) ने 'मैसूर चलो' मार्च का आयोजन किया। उधर, कांग्रेस भी लगातार भाजपा और जेडी-एस पर हमलावर है। अब कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने भी निशाना साधा है।
अब बात आगे बढ़ गई है- जी परमेश्वर
कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा, ‘जब भाजपा ने अपनी पदयात्रा की घोषणा की थी, तो उन्होंने आरोप लगाए थे कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) ने मुख्यमंत्री की पत्नी को 14 जगहें दी। आरोप लगाए गए हैं कि मुख्यमंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एमयूडीए पर इन 14 जगहों को देने के लिए दबाव डाला। हालांकि, हम इन आरोपों से चिंतित नहीं हुए। लेकिन अब बात आगे बढ़ गई।’
कागजों पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर नहीं- जी परमेश्वर
गृहमंत्री जी परमेश्वर ने आगे कहा, ‘इसे लेकर राज्यपाल ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया लेकिन हम चुप रहे। हमने कहा कि कानूनी तरीके से जांच को जारी रखा जाए। भाजपा की पदयात्रा से पहले हमने भी हमने कार्यक्रमों को तैयार किया। हमने जनता को सच बताने के लिए एक विशाल रैली का आयोजन किया और इस रैली में करीब 1.5 लाख लोग शामिल हुए। जब कागजों में मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर ही नहीं हैं, तो भाजपा उन पर आरोप कैसे लगा सकती है? जब यह घटना घटी तो उस समय राज्य में भाजपा का शासन था और भाजपा के नेता ही एमयूडीए को चला रहे थे।’
क्या है मामला?
आपको बता दें कि भाजपा और जेडी(एस) ने हाल ही में कथित भूमि घोटाले को लेकर बंगलूरू से मैसूर तक मार्च का आयोजन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग की। आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को एमयूडीए में एक घोटाले में फायदा हुआ। विपक्ष का आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी को शहर के एक दूरदराज इलाके में 3.40 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बदले वैकल्पिक भूखंड मिले।
‘आपको चुनी हुई सरकार पर निशाना साधने का अधिकार नहीं’
गृहमंत्री जी परमेश्वर ने भाजपा और जेडी(एस) पर निशाना साधते हुए आगे कहा, ‘मैं भाजपा और जेडी(एस) के नेताओं से कहना चाहता हूं कि आपको चुनी हुई सरकार पर निशाना साधने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि आप खुद भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं। आप राज्यपाल के पद का भी दुरुपयोग कर रहे हैं। आखिर राज्यपाल किस संदर्भ में मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी सकते हैं? मुझे नहीं लगता कि राज्यपाल ने नोटस भेजकर सही निर्णय लिया है। मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को सुझाव दिया है कि ऐसा ना करें।’