बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न थमने का नाम नहीं ले रहा है।
शेख हसीना के बाद देश की बागडोर संभाल रहे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस उनकी रक्षा करने में असमर्थ होते जा रहे हैं।
वहां रहने वाले हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। उनकी नौकरी जबरन छीनी जा रही है।
उनसे इस्तीफा लिया जा रहा है। इन तमाम परेशानियों का सामने कर रहे हिंदुओं ने सुरक्षा और उत्पीड़न रोकने की मांग को लेकर 30 हजार से ज्यादा की संख्या में सड़कों पर उतरे।
उन्होंने हिंदू नेताओं के खिलाफ राजद्रोह के मामलों को भी वापस लेने की मांग की।
हिंदू संगठनों का कहना है कि धर्मनिरपेक्ष शेख हसीना सरकार के जाने के बाद देश में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गए हैं। उनके खिलाफ हमले, उत्पीड़न के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है।
अगस्त की शुरुआत से अब तक हिंदुओं के खिलाफ ऐसे हजारों मामले सामने आए हैं। ये प्रदर्शन चटगाव में किया गया। उधर, अलग अलग शहरों में भी अल्पसंख्यकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शन किए।
सुरक्षा नहीं दे पा रही अंतरिम सरकार
अल्पसंख्यक समूह बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने कहा कि अगस्त से हमले के 2000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों को सुरक्षा नहीं दे पा रही है।
सरकार के सामने 8 मांगें
हसीना सरकार जाने के बाद से ही पूरे बांग्लादेश में अलग-अलग शहरों में हिंदू संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी आठ प्रमुख मांगे हैं।
वह चाहते हैं कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानून, अलग मंत्रालय और उत्पीड़न का मुकदमा चलाने के लिए न्यायिक प्राधिकरण का गठन हो। दुर्गा पूजा के लिए पांच दिन का अवकाश मिले।
कट्टरपंथियों के निशाने पर अल्पसंख्यक
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद ही प्रदर्शनकारियों, कट्टरपंथियों ने हिंदू समुदाय को निशाना बनाया था।
यहां दुकानों में आगजनी की गई, हिंदू युवतियों, महिलाओं पर अत्याचार हुआ। घरों पर हमला, प्रतिष्ठानों में आगजनी हुई सैकड़ों हिंदुओं की हत्या कर दी गई। अगस्त से ये सिलसिला जारी है।
जातीय पार्टी का मुख्यालय फूंका, तोड़फोड़ की
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का हिस्सा रही जातीय पार्टी के ढाका स्थित केंद्रीय कार्यालय में गुरुवार रात झड़पों के बाद आग लगा दी गई।
इसमें पार्टी कार्यालय क्षतिग्रस्त हो गया। ये पार्टी हसीना सरकार में शामिल रही थी और इस देश की प्रमुख पार्टी बीएनपी के बहिष्कार के बावजूद पिछले तीन आम चुनावों में भाग लिया था।
दिवंगत राष्ट्रपति हुसैन मुहम्मद इरशाद द्वारा स्थापित जातीय पार्टी, बांग्लादेश अवामी लीग के नेतृत्व वाले गठबंधन हिस्सा थी।
हंगामा जातीय पार्टी द्वारा शनिवार को ढाका में एक रैली आयोजित करने के ऐलान के बाद शुरू हुआ। हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने उनके खिलाफ गुरुवार को एक रैली निकाली थी।
जब प्रदर्शनकारी ने ढाका के हृदय स्थल काकरैल इलाके में जातीय पार्टी के केंद्रीय कार्यालय के सामने से मशाल लेकर गुजरे तो कुछ प्रदर्शनकारी पार्टी के कार्यालयों में तोड़फोड़ की, साइनबोर्ड उखाड़ फेंके और दीवार पर पार्टी के संस्थापक इरशाद की तस्वीर पर स्याही पोत दी।
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