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कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहे 2 अद्भुत संयोग…करें इस मुहूर्त में पूजा! मिलेगा100 अश्वमेध यज्ञ के समान फल

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सनातन धर्म में कार्तिक का महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. कार्तिक के महीने में देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के निद्रा योग से जागते हैं. भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने पर चातुर्मास समाप्त हो जाता है और सभी मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाते हैं. इसी महीने में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान भी होता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी मनाई जाति है. हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद खास होता है. इस दिन भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने से 100 अश्वमेध यज्ञ जितना पुण्य प्राप्त होता है. कार्तिक पूर्णिमा पर किए गए स्नान से भगवान श्रीहरि की भी असीम कृपा मिलती है. इसलिए इस दिन लोग गंगा (Ganga Snan), यमुना जैसी नदियों में स्नान करते हैं. विष्णु पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण ने मत्स्य अवतार लिया था. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि कब है कार्तिक पूर्णिमा? क्या है पूजा और स्नान का मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का शुभ मुहूर्त
दरअसल, अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को है. पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को प्रातः 6:31 से प्रारंभ होगी जो रात्रि 16 नवंबर को सुबह 3:02 पर समाप्त होगी. पूजा अथवा दान का शुभ मुहूर्त सुबह 8:46 से लेकर 10:26 तक है. तो वही स्नान का मुहूर्त सुबह 6:28 से लेकर 7:19 तक रहेगा.

कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहे 2 राजयोग
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि इस साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गजकेसरी राजयोग बन रहा है. उसके बाद शश राजयोग का निर्माण होगा. कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नानऔर दान का विशेष महत्व भी होता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के शिव परिवार की विशेष पूजा-अर्चना करना चाहिए. साथ ही प्रिय भोग अर्पित करने चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके भव्य स्वागत के लिए दीपक जलाएं जाते हैं.