मुंबई । महाराष्ट्र की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यहां मंत्री नहीं बनाए जाने से छगन भुजबल जैसे दिग्गज नेता नाराज हैं और आए दिन अपनी ही सरकार को निशाने पर ले रहे हैं। वहीं फडणवीस सरकार में वरिष्ठ मंत्री धनजंय मुंडे एक सरपंच की हत्या के मामले में घिरते नजर आ रहे हैं। तीसरा संकट ये भी बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार में उप मुख्यमंत्री अजित पवार भी खुश नहीं हैं और वे अपने चाचा शरद पवार की तरफ आकर्षित होते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में उथल पुथल की संभावना से कैसे इनकार किया जा सकता है। कुल मिलाकर यहां बगावत की आग सुलग रही है तो सियासी हाथ तापने वालों की भी कमी नहीं है और सिर्फ मौके का इंतजार हैं।
छगन भुजबल, जो महायुति सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज हैं, ने अपना असंतोष खुलकर जाहिर किया है। शनिवार को नवी मुंबई में एक कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान, उन्होंने कहा कि मंत्री पद न मिलना उनके लिए निराशाजनक है। उन्होंने धनंजय मुंडे के खिलाफ भी बयान दिया, जो बीड के मसजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड में नाम आने के कारण विवादों में हैं। छगन भुजबल ने कहा कि अजित पवार को देखना होगा कि धनंजय मुंडे की वजह से पार्टी संकट में है या नहीं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी के इस्तीफे में जल्दबाजी करना उचित नहीं है। भुजबल का यह बयान पार्टी के अंदर चल रहे मतभेदों को उजागर करता है। छगन भुजबल ने यह भी कहा कि पवार परिवार को एकजुट होना चाहिए। उन्होंने ठाकरे परिवार को भी साथ आने की सलाह दी। हालांकि, उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया। इस संकट से महायुति सरकार और अजित पवार की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आने वाले दिनों में एनसीपी (अजित गुट) का यह आंतरिक संकट महाराष्ट्र की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
धनंजय मुंडे, जो राज्य के वरिष्ठ मंत्री हैं, बीड के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के मामले में आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। इस हत्या से जुड़े रंगदारी के मामले में गिरफ्तार वाल्मीक कराड का नाम धनंजय मुंडे से जोड़ा जा रहा है। विपक्ष और बीजेपी के साथ-साथ एनसीपी के अंदर भी उनके इस्तीफे की मांग तेज हो रही है। बीजेपी विधायक सुरेश धस और अजित पवार गुट के विधायक प्रकाश सोलंके ने भी धनंजय मुंडे को पद से हटाने की मांग की है। साथ ही, बीड जिले के संरक्षक मंत्री के रूप में उनकी भूमिका को भी हटाने की बात कही जा रही है।