दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच का दावा है कि उसने समय रहते एक बड़ी गैंगवॉर को नाकाम कर दिया। लंदन में बैठे कुख्यात गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू के 4 शूटरों समेत 7 आरोपियों को टीम ने हथियारों के साथ गिरफ्तार किया है। नंदू के इशारे पर ये दुश्मन गैंग और अन्य की हत्या की तैयारी में थे। क्राइम ब्रांच स्पेशल CP के मुताबिक, एडिशनल CP के सुपरविजन में गिरफ्तार सात आरोपियों की पहचान पालम निवासी प्रमोद, बहादुरगढ़ निवासी जितेश, सोनीपत निवासी सूरज, बहादुरगढ़ निवासी अनिल राठी, जहांगीरपुरी निवासी सुनील, सचिन उर्फ नितिन और ओखला निवासी देशांत शर्मा के रूप में हुई है।
दरअसल, टीम के पास इनपुट था कि नंदू गैंग से जुड़े कुछ गुर्गे दिल्ली में गैंगवार की तैयारी में हैं और इन लोगों ने बुराड़ी इलाके में सेफ ठिकाना बनाया हुआ है। सूचना पर टीम ने बुराड़ी में जाल बिछाया। टीम ने एक संदिग्ध टाटा टियागो कार को रोका। जांच करने पर अंदर बैठे तीन की पहचान सूरज, जितेश उर्फ जीतू और अनिल राठी के रूप में हुई। पूछताछ करने पर तीनों सही से जवाब नहीं दे पा रहे थे।
कपिल नंदू गैंग के गुर्गे निकले
सख्ती करने पर आरोपियों ने खुद को कपिल नंदू गैंग का गुर्गा बताया। ये लोग बुराड़ी इलाके में एक किराए के फ्लैट में रह रहे थे। टीम ने उनकी निशानदेही पर उस फ्लैट पर छापा मारा। फ्लैट के अंदर उनके तीन साथी प्रमोद, सुनील और सचिन मिले। आरोपियों के पास से अवैध हथियार और कारतूस मिले। उसी दौरान एक और साथी देशांत शर्मा भी वहां पहुंचा। उसे पता नहीं था कि यहां क्राइम ब्रांच की रेड हो रही है। उसे भी हथियार समेत पकड़ लिया। फ्लैट की तलाशी लेने पर दो लाख कैश भी बरामद हुआ।
ऐप के जरिए गैंगस्टर के संपर्क में थे
शुरुआती पूछताछ में पता चला कि प्रमोद गैंगस्टर विक्की सन्यासी का सगा भाई है। यह पालम गांव थाने का बीसी है और उम्रकैद की सजा काट रहा है। इसने अपने भाई विक्की सन्यासी के साथ मिलकर 2011 में दिल्ली के पालम गांव इलाके में एक हत्या की थी। दोनों भाइयों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। पिछले साल यह परोल पर बाहर आया, लेकिन सरेंडर नहीं किया। यह 'सिग्नल ऐप' के जरिए गैंगस्टर कपिल नंदू के संपर्क में था। उसके इशारे पर काम करना शुरू कर दिया था। कपिल नंदू के इशारे पर यह गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर अपने प्रतिद्वंद्वी की हत्या करने के लिए इकट्ठा हुए थे। देशांत शर्मा हत्या की कोशिश के एक केस में शामिल रहा है।
गैंग में शामिल करने को देते थे लालच
यह ऐसे युवाओं पर नजर रखता था जो गैंगस्टरों से प्रभावित हैं। यह उन्हें पैसे/गिफ्ट का लालच देता। यह गैंगस्टर कपिल नंदू से बात भी करवाता था। आरोपी जितेश, सूरज और अनिल राठी को इसी ने ही भर्ती किया था। तीनों का कोई क्राइम रिकॉर्ड नहीं मिला है। ये नंदू से प्रेरित होकर संपर्क में आए थे। सुनील उर्फ सोनू और सचिन जहांगीरपुरी में पहले एक हत्या के मामले में शामिल थे। उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में आठ साल की सजा के बाद जेल से रिहा हो गए थे। प्रमोद पहले से ही सिग्नल ऐप के जरिए गैंगस्टर कपिल नंदू के संपर्क में था। इसी ने सुनील और सचिन को कपिल नंदू से मिलवाया था। मामले की आगे की जांच जारी है।