Home छत्तीसगढ़ 4 साल में कैसे बढ़ेगा 55 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र

4 साल में कैसे बढ़ेगा 55 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र

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भोपाल। मप्र सरकार का खेती-किसानी पर सबसे अधिक फोकस है। इसके लिए सरकार सिंचाई का रकबा बढ़ाया जा रहा है। सरकार ने आगामी 4 साल में प्रदेश में सिंचाई का रकबा 1 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रदेश में वर्तमान में 45 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र है। ऐसे में सवाल उठता है कि 4 साल में सरकार 55 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र कैसे बढ़ा पाएगी।विधायकों द्वारा विधानसभा में उठाए गए भ्रष्टाचार सहित अन्य मुद्दे और नई सिंचाई परियोजनाओं के काम प्रारंभ करने पर केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं। जबकि प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के नाम पर सरकार करीब 40 हजार करोड़ के काम कर रही है। जल संसाधन विभाग के अलावा एनवीडीए द्वारा निर्मित कराई जा रही परियोजनाओं के बाद भी टारगेट पूरा होने की संभावना कम ही नजर आ रही है।   ऐसे में मप्र की भाजपा सरकार अगले चार सालों में एक करोड़ हेक्टेयर में सिंचाई का दावा कर रही है, जबकि वर्तमान में 45 लाख हेक्टेयर में ही बामुश्किल सिंचाई हो पा रही है।

अधर में योजनाएं-परियोजनाएं
विधानसभा में समय-समय पर उठे सवालों पर यह तथ्य सामने आया है कि प्रदेश में विभिन्न सिंचाई परियोजनाएं-योजनाएं अधर में हैं। विधानसभा के 2021 के सत्र के दौरान संजय पाठक ने हितग्राहियों को भू-अर्जन का लंबित मुआवजा दिलाने, त्योंथर के ग्राम खाम्हा सहित अन्य ग्रामों में सिंचाई सुविधा का विस्तार करने, चंदौरा जलाशय क मुख्य नहर की लाइनिंग का मुद्दा सुखदेव पांसे ने उठाया था, यह कार्य भी परीक्षणाधीन बताया गया है। जौरा में स्टॉप डेम कम काजवे का निर्माण, दिनेश राय मुनमुन ने हैदाराबाद की पेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी को जल संसाधन विभाग द्वारा भुगतान में अनियमितता किए जाने पर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग पर अभी तक कुछ नहीं हुआ। उधर, विधायक हिना कांवरे ने 2022 में खराड़ी जलाशय की नहर में लाइनिंग कार्य के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा, लेकिन यह प्रस्ताव अभी तक शासन को नहीं मिला, बल्कि चीफ इंजीनियर के यहां पेंडिंग होने के कारण आश्वासन पूरा नहीं हुआ। तत्कालीन प्रागीलाल जाटव ने करैरा नगर में रियान, वॉटर टैंक द्वारा तोड़ें गए सीसी से आए दिन हो रहे एक्सीटेंड का मुद्दा उठाया, लेकिन जोड़ी गई सीसी पर रेस्टोरेशन का कार्य शीघ्र पूरा कराने का आश्वासन पेंडिंग है।

100 से अधिक प्रस्ताव और सुझाव पेंडिंग
विधायकों द्वारा सदन में उठाए गए बांध और जलाशय निर्माण से जुडें करीब 100 से अधिक प्रस्ताव और सुझाव पेंडिंग हैं। विधानसभा के फरवरी-मार्च 2017 में हुए सत्र के दौरान तत्कालीन विधायक मुकेश नायक ने पत्रा जिले में बांध टूटने के कारण और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध संस्थित जांच पूर्ण की जाकर ठेकेदार मेसर्स त्रिशूल कन्स्ट्रक्शन जबलपुर से व्यय की गई राशि की वसूली करने का मुद्दा उठाया था। जिस पर सरकार ने जवाब दिया था कि दोषी अधिकारियों पर डीई की जा रही है और ठेकेदार से वसूली की जाएगी। यह मुद्दा आश्वासन में पेंडिंग है। ग्वालियर के भितरवार की क्षतिग्रस्त हुई हर्सी-टेकनपुर सडक़ का मरम्मत कार्य कराने का मुद्दा लाखन सिंह यादव ने उठाया था। सरकार ने आश्वासन दिया था कि इस सडक़ को ठीक कराने में 75 या 100 करोड़ भी खर्च होंगे तो अगले बजट में लाएंगे, लेकिन यह भी आश्वासन क्रमांक 0/183 में पंडिंग है। बिलखुरा व सिरस्वाहा का मुद्दा मुकेश नायक ने 2018 में भी पुन उठाया। सरकार ने दोषी अधिकारियों के विरुद्ध डीई प्रारंभ की और कहा-जलाशय की मरम्मत पर 2 करोड़ की राशि खर्च हुई है, जिसकी वसूली दोषी निर्माण कंपनी त्रिशूल कंस्ट्रक्शन पर आरोपित की गई है, लेकिन मामला अभी भी पेंडिंग है।

इस साल इन विधायकों ने उठाए ये मुद्दे
इस साल विधानसभा में सिंचाई से संबंधित कई मुद्दे उठाए गए। कमलेश्वर डोडियार ने ग्राम पंचायत लुणी के राधाकुंआ में तालाब निर्माण कराने का मामला उठाया। वहीं सुरेंद्र सिंह गहरवार ने चित्रकूट के पाथरकछार रानीपुर एवं नरदेहा में सिंचाई के लिए बांध बनाए जाने, अनुभा मुंजारे ने बड़ी नहरों से माइनर नहर बनाने, नहर के साइड मार्ग की मरम्मत कराने की मांग की है। विवेक पटेल ने बालाघाट जिले के नाद गांव अंतर्गत डोकरिया जलाशय का निर्माण कराने, राजेंद्र पांडेय ने रतलाम के ग्राम मधून में डेम निर्माण, सुरेन्द्र सिंह ने यूपी बार्डर के समीप कंदर बांध बनाने। अभय मिश्रा सेमरिया में प्रतापपुर माइनर से जरमोहरा बांध तक पानी पहुंचाने, सब माइनर नहर का निर्माण कराने फूलसिंह बरैया ने ग्राम रेडा से सेमई सब माइनर नहर का गहरीकरण एवं पक्का निर्माण कराने का मुद्दा उठाया। केदार डाबर ने खारक तालाब से ग्राम चौखंड कान्ऱ्या पानी सहित अन्य गांवों में सिंचाई सुविधा का विस्तार, बिसाहूलाल सिंह ने गोहधारी नदी के कैलाश घाट पर रपटा कम स्टॉप डेम तथा कठना नदी पर डेम निर्माण, राजेन्द्र भारती ने सोय नदी पर स्टॉप डेम कम बीपरवाल को मंजूरी देने, प्रहलाद लोधी ने फत्रा जिले के खमरिया में सिंचाई के लिए बांध का निर्माण कराने, रमेश प्रसाद खटीक ने करेंरा अंतर्गत महुअर नदी पर बने नावली डैम से माइक्रो सिंचाई परियोजना शुरू करने और इंजी. ऋषि अग्रवाल ने ग्वारखेड़ा नदी में डायवर्सन निर्माण कर कलौरा तालाब से पानी पहुंचाने का मुद्दा उठाया।