रायपुर: छत्तीसगढ़ के रायपुर में पीएससी का पेपर पूर्व सीजीपीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक ने लेन-देन के जरिए लीक किया था. इस खेल में एक सिंडिकेट काम कर रहा था. फिलहाल आरती वासनिक की भूमिका जांच के दायरे में है. इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है. जांच में इनपुट मिलने के बाद उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा. इस मामले में सीबीआई ने रिकॉर्ड चार दिनों में पांच लोगों के खिलाफ चालान पेश किया. इस घोटाले की जांच के बाद सीबीआई ने पूर्व सीजीपीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, उनके भतीजे नितेश, बेटे साहिल, उप परीक्षा नियंत्रक ललित गणवीर, कारोबारी श्रवण गोयल, उनके बेटे शशांक और बहू भूमिका गोयल (कटियार) को आरोपी बनाया है, जिन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है. गुरुवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश की अदालत में उक्त सभी लोगों के खिलाफ 465 पन्नों की चार्जशीट पेश की गई.
लीक किया था पेपर
चार्जशीट में बताया गया है कि किस तरह पीएससी के तत्कालीन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर लेन-देन कर अपने रिश्तेदारों और करीबियों को फायदा पहुंचाने के लिए पेपर लीक किया। 30 जनवरी को कोर्ट में पेश चार्जशीट पर बचाव और अभियोजन पक्ष अपनी दलीलें पेश करेंगे। बता दें कि सीजीपीएससी में 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है। 2020 में 175 और 2021 में 171 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी।
इस फर्जीवाड़े के बाद दुर्ग जिले के अर्जुन्दा थाने में मामले की एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद ईओडब्ल्यू और एसीबी ने एफआईआर दर्ज की थी। इसमें सीजीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह ने अपने बेटे नितेश, बड़े भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले, बहन की बेटी सुनीता जोशी और नेताओं और अफसरों के रिश्तेदारों का पीएससी में चयन कराया था।
45 लाख रुपए की रिश्वत का जिक्र
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि तमन सिंह सोनवानी की पत्नी द्वारा संचालित एनजीओ को 45 लाख रुपए की रिश्वत दी गई। कारोबारी श्रवण गोयल पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे शशांक और बहू भूमिका को नौकरी दिलाने के लिए सोनवानी के करीबी एनजीओ को सीएसआर फंड से 45 लाख रुपए दिए। इस संबंध में दस्तावेजी साक्ष्य और संदेह के घेरे में आए अन्य लोगों के नाम भी शामिल किए गए हैं।