Home समाचार Gwalior : ‘माननीय’ की नहीं सुनी तो हो गई कलेक्टर की रवानगी

Gwalior : ‘माननीय’ की नहीं सुनी तो हो गई कलेक्टर की रवानगी

0

ग्वालियर। पिछले 20 महीने में तीन कलेक्टर ग्वालियर को मिले, तीनों में से कोई भी कलेक्टरी की वर्षगांठ नहीं मना सका। इस बार कलेक्टर ग्वालियर का तबादला भी पॉलिटिकल ट्रांसफर है। सीधी वजह ‘माननीय’ की नहीं मानी तो कुर्सी से ही अफसर को दूर कर दिया।

अब पिछले तीन कलेक्टरों का कार्यकाल महीनों में ही सिमट रहा है। क्रम से देखें तो 11 महीने का कार्यकाल पूरा करने वाले आईएएस अशोक सिंह वर्मा, उसके बाद 7 महीने की कलेक्टरी कर पाने वाले आईएएस राहुल जैन और उसके बाद आईएएस भरत यादव को तो सिर्फ 2 महीने और 12 ही दिन ही हुए थे। नई सरकार के बनने के बाद 24 दिसंबर यानि सुशासन दिवस पर ज्वाइन करने वाले कलेक्टर भरत यादव के तबादले के पीछे माननीय के हुक्म टालना ही बड़ी वजह है।

कलेक्टर भरत यादव के मंगलवार दोपहर आए तबादले की खबर से स्थानीय अफसर सकते में आ गए। दो महीने की कलेक्टरी में तबादले का ऑर्डर क्यों आ गया, यही सबके जहन में सवाल घूम रहा था। खुद कलेक्टर भरत यादव भी अपने तबादले ऑर्डर से हैरानी है। कलेक्टर यह तय ही करके बैठे थे कि लोकसभा चुनाव-2019 की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं और चुनाव बेहद महत्वपूर्ण हैं,ऐसे में उन्हें तबादले की कोई उम्मीद दूर-दूर तक नहीं थी। अब अचानक आए आदेश ने सारे पूर्वाग्रह तोड़ दिए।

सबसे ज्यादा चर्चा में

1-कंट्रोल एंड कमांड सेंटर

कुछ समय पहले ही प्रदेश सरकार के स्थानीय मंत्रियों ने ग्वालियर के विकास कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई थी जिसमें क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी थे। इस बैठक में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों को खासतौर पर विश्लेषित किया गया था, जिसमें मोतीमहल स्थित कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को शिफ्ट किए जाने का सुझाव सांसद सिंधिया ने दिया। इस पर स्मार्ट सिटी अधिकारियों का कहना था कि 70 प्रतिशत कार्य हो चुका है,मौजूदा स्थिति में तो शिफ्टिंग संभव नहीं है। इसके बाद भी सांसद ने कहा कि दूसरी जगह तलाशी जाए। अब यहां हकीकत में इसकी शिफ्टिंग अफसरों के लिए संभव नहीं थी,भविष्य में जरूर ऐसा किया जा सकता है।

2-रेलवे ओवरब्रिज पड़ाव

नए पड़ाव आरओबी को जल्द शुरू कराए जाने को लेकर सांसद से लेकर स्थानीय मंत्री तक लगातार निगाह बनाए हुए हैं। रेलवे ओवरब्रिज के लोकार्पण का कार्यक्रम सोमवार को सांसद सिंधिया के कार्यक्रमों में शामिल किया गया था। यह अधिकारिक तौर पर जारी शिड्यूल था, लेकिन आरओबी अभी न तो ट्रैफिक निकालने की स्थिति में था न ही रेलवे की एनओसी मिली है। ऐसे में पीडब्ल्यूडी से लेकर जिला प्रशासन तक ने इसके लोकार्पण से खुद को अनभिज्ञ बताया। अब सांसद लोकर्पण की तैयारी करे बैठे थे और इधर अधूरे पुल को अफसर कैसे चालू कराते,यह दुविधा बन गई थी।

3- जो कहा सो हो जाए,यह नहीं हो पाया

एक हुक्म पर तत्काल काम,यह भी नहीं हो सका। इसका परिणाम कुर्सी छुड़वाना तक बन गया। ‘माननीय’ के यहां के स्थानीय ऐसे काम जो सीधे तौर पर तो हो नहीं सकते थे,इनके लिए आउट ऑफ टर्न कलम चलाना और पूरी अटेंशन देना,यह नहीं हो सका। इसके अलावा माननीय के नजदीकियों के काम न होना और उनके दुश्मन खेमे का कोई भी फेवर ट्रांसफर का कारण बन गया।

आज ज्वाइन करेंगे नए कलेक्टर

सिंगरौली से ग्वालियर स्थानांतरित किए गए नवागत कलेक्टर अनुराग चौधरी बुधवार को ग्वालियर आएंगे। वे ग्वालियर आते ही चार्ज संभालेंगे। कलेक्टर भरत यादव उन्हें अपना चार्ज सौंपेगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here