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छत्तीसगढ़ : नहरों के माध्यम से प्रदेश के 4964 तालाबों को भरा जाएगा : वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सिंचाई योजनाओं की समीक्षा

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जल संसाधन विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत ने गत दिवस विभाग द्वारा संचालित सिंचाई योजनाओं की वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से समीक्षा की। 

समीक्षा बैठक में यह तथ्य रेखांकित हुआ कि गत वर्ष पर्याप्त वर्षा और जलाशयों में जल भराव उपलब्ध रहने पर भी रबी फसल के लिए जल प्रदाय नहीं किया गया था। इस वर्ष विभागीय आंकलन के अनुसार वर्तमान में प्रदेश में लगभग 40 हजार हेक्टेयर में रबी फसल कृषकों द्वारा लगाई गई है। साथ ही आगामी दिनों में ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ से ही बढ़ते हुए तापमान को देखते हुए विभाग को जल प्रदाय की बढ़ी हुई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारियों द्वारा इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए बेहतर जल प्रबंधन के तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। 

बैठक में जलाशयों में उपलब्ध जल भराव की जानकारी दी गई। अधिकारियों द्वारा बताया गया कि वर्तमान में प्रदेश के सभी वृहद, मध्यम एवं लघु जलाशयों में औसत जल भराव 44 प्रतिशत है, जो मात्रा के आधार पर 3178.47 मि.घ.मी. होता है। इस कुल जल उपलब्धता के मदद्ेनजर रबी सिंचाई के लिए 953.85 मि.घ.मी. ,पेयजल के लिए 176.43 मि.घ.मी. ,उद्योगों के लिए 317.83 मि.घ.मी. जल आरक्षित रखा गया है। प्रदेश के तालाबों में निस्तारी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 950 मि.घ.मी. जल नहरों के माध्यम से लगभग 4964 तालाबों को भरा जाएगा। इस प्रकार प्रदेश की सभी आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध कराया जाने पर भी जलाशयो में अंत में लगभग 627 मि.घ.मी. जल शेष रहेगा। 

सचिव ने इसी तरह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, प्रमुख अभियंता श्री कुटारे एवं मुख्य अभियंता श्री जयंत पवार तथा श्री के.एस. ध्रुव की उपस्थिति में भी तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने जलाशयों से रबी और निस्तारी के लिए तथा जल संरक्षण के दृष्टिगत जल का अपव्यय न हो इसे सुनिश्चित करने के निर्देश मैदानी अधिकारियों को दिए गए। उन्होंने जन सामान्य और  किसानों से अपेक्षा है कि यथासंभव जल का अपव्यय एवं दुरूपयोग रोका जाए। पानी का प्रवाह खेतों, मैदानों में फैलते हुए तालाबों तक न पहुंचे बल्कि सीधे छोटी नालियों के माध्यम से तालाबों को भरा जावे। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में पूरे राज्य के जिला स्तर के अधिकारी अधीक्षण अभियंता एवं मुख्य अभियंता उपस्थित थे।