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नवरात्र विशेष : करें मां कुष्मांडा की आराधना, चैत्र नवरात्र चौथे दिन बन रहे चार दुर्लभ योग

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रायपुर। आज चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और मंगलवार का दिन है। इसके साथ ही आज सुबह 10 बजकर 19 मिनट तक सारे काम बनाने वाला रवि योग और शाम 06 बजकर 56 मिनट तक आयुष्मान योग भी रहेगा। इसके अलावा आज नवरात्र का चौथा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्माण्डा की उपासना की जाती है। साथ ही आज वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत भी है। इसके अलावा आज मुकदमा दायर करने या अपनी बात रखने के योग यानि कि यायीजयद योग सूर्योदय से सुबह 10:18 तक रहेगा। वहीं सारे काम बनाने वाले योग यानि की सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 10:19 तक रहेगा। नवरात्र के चौथे दिन एक साथ 4 योग लगने का असर हर राशि के जातकों पर शुभ पड़ेगा। 6 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र 14 अप्रैल तक चलेगा। इस नवरात्र में तिथियों में किसी प्रकार का तोड़ भांज नहीं होने के चलते माता भक्तों को पूरे नौ दिन माता भक्ती के लिए मिलेंगे।
मां कुष्मांडा
माता को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। मां कुष्माण्डा की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है। माता का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है। कहते हैं सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता अगर किसी में है तो वह केवल मां कुष्माण्डा में ही है। साथ ही माना जाता है कि देवी कुष्माण्डा सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। परिवार में खुशहाली के लिए, अच्छे स्वास्थ्य के लिये और यश, बल तथा आयु की वृद्धि के लिए आज के दिन मां कुष्माण्डा का ध्यान करके उनके इस मंत्र का जाप करना चाहिए-‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:’ ..

ऐसे करें पूजा
दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने के लिए मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करें फिर मां कुष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लेकर मां को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें।

या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा के बाद महादेव और परमपिता ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।