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जल्द ही रेल में क्यूआर कोड से जान पाएंगे कैसा है आपका खाना

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सालों में रेलवे में सुधार हो रहा है लेकिन खाने को लेकर अब भी सबसे ज्यादा शिकायत रहती है. खाने की गुणवत्ता को सुधारने के लिए लगातार सुझाव दिए जा रहे हैं. इन पर धीरे-धीरे अमल हो रहा है. शनिवार को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने पश्चिम और मध्य रेलवे के साथ रिव्यू मीटिंग की. इस मीटिंग में कैटरिंग से जुड़े मुद्दों को जल्द निपटाने पर जोर दिया गया.

आईआरसीटीसी द्वारा संचालित बेस किचन में कई प्रीमियम ट्रेनों का खाना बनता है. रेलमंत्री ने इन बेस किचन से लाइव फीड देने का इंतजाम जल्द करने का आदेश दिया है. लाइव फीड के जरिए यात्रियों को पता चलेगा उनका खाना कैसे बना है, कितनी हाइजीन रखी गई है.

बेस किचन से पैक होने वाले खाने में जल्द ही क्यूआर कोड लगाना होगा. इस क्यूआर कोड के जरिए यात्री को खाने से जुड़ी सभी जानकारियां मिल जाएंगी. मसलन खाना कौन से बेस किचन में, कितने बजे पैक किया गया है. खाने का वास्तविक दाम भी क्यूआर कोड के जरिए यात्री को बताया जाएगा ताकि उतना ही भुगतान किया जाए.

मुंबई में शुरू की गई नो-बिल, नो-पेमेंट की योजना को अब ट्रेनों में भी सख्ती से लागू किया जाएगा. पीयूष गोयल ने मीटिंग में अधिकारियों से कहा कि नो-बिल, नो-पेमेंट के निर्देश मेटल शीट पर प्रिंट करके ट्रेनों में जल्द से जल्द लगाए जाए. इन शीट पर टी.सी. द्वारा रसीद नहीं दिए जाने पर की जाने वाली कार्रवाई का भी ब्योरा होगा.

रेलवे में पारंपरिक रेक का उत्पादन बंद हो चुका है. अब राजधानी की तर्ज पर एलएचबी रेक ही बन रहे हैं. रिव्यू मीटिंग के दौरान रेलमंत्री ने अधिकारियों को पेंट्रीकार वाली ट्रेनों को जल्द ही एलएचबी रेक में बदलने के निर्देश दिए हैं. एलएचबी रेक की पेंट्रीकार वातानुकूलित होती हैं, जिसमें भोजन की गुणवत्ता को बरकरार रखना आसान होता है.

रेलवे में फिलहाल विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन दी गई हैं. रेलमंत्री ने निर्देश दिया है कि सुरक्षा के लिए आरपीएफ की हेल्पलाइन 182 और अन्य सेवा के लिए कोई एक ही हेल्पलाइन होनी चाहिए. इससे यात्रियों को सुगमता होगी.