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अदिति सिंह : पूजीपतियों के दबाव में सरकार फैक्ट्री को बरबाद करने पर तुली

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रेल कोच गेट नंबर 2 के बाहर चल रहे महा धरने में आज समर्थन देने सदर विधायक अदिति सिंह पहुंची। उन्होंने आम जनमानस के साथ भाग लेकर केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए प्रस्ताव वापस लेने की मांग की। इस बारे में विधायक अदिति सिंह ने कहा कि सरकार यदि पूजीपतियों पर इतना भरोसा करती है तो नई फैक्ट्रियों का लाईसेंस उन्हें दे। फिर जनता भी देखेगी कि सरकारी फैक्ट्री में ज्यादा अच्छा कार्य होता है कि प्राईवेट फैक्ट्री में। कर्मचारियों के हितों को किसी भी दशा में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिये अब आर-पार की लडाई लड़ी जाएगी। सरकार रायबरेली के लोगों के साथ विश्वासघात कर रही है। विधायक ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय बनने वाला रेल पहिया कारखाना आज तक भाजपा सरकार नहीं चला पाई है। यहां लगने वाली इंसलरी को जबरन फतेहपुर भेज दिया गया और अब वे यहां की जनता व कर्मियों को निगमीकरण के होने वाले लाभ का लॉलीपाप दिखा रहे हैं। सिंह ने कहा कि भाजपा सरकारी की दोहरी मानसिकता का चरित्र जनता के सामने आ चुका है। देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये सरकार इस प्रकार के कुंठित कार्य कर रही है।

महाधरने को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता आरके बघेल ने कहा कि यह फैक्ट्री जिले की सांसद सोनियां गांधी का ड्रीम पो्रजेक्ट है। जो विश्व स्तर पर अपनी पताका फहरा रहा है। इसके किसी कीमती पर निगमीकरण नही होने दिया जायेगा। कांग्रेस नेता दीपेंद्र गुप्ता ने कहा कि 2009 में बीएसएनएल जाहां 7 हजार करोड के फायदे में था वही आज वह 70 हजार के घाटे में है। सरकारी एयर इंडिया बंदी की कगार पर है, आईटीआई, एमटीएनएल, एयरपोर्ट, लालकिला, ताजमहल आदि पूजीपतियों के हाथो बेचे जाने की योजना पर कार्य हो रहा है।

बता दें कि लालगंज के रेल कोच के बाहर चल रहे महा धरना का निगमीकरण मुद्दा अब भाजपाईयों के गले की फांस बनता जा रहा, क्योंकि एमसीएफ के निगमीकरण का प्रस्ताव जिले के भाजपाईयों के गले नहीं उतर रहा है। पार्टी लाईन में बंधे होने के कारण न तो वे समर्थन कर पा रहे है और न ही विरोध कर पा रहे हैं। एमएलसी दिनेश सिंह ने सरकार की हां में हां मिलाई है। जिसका फैक्ट्री के कर्मियों समेंत आमजनमानस में विरोध हो रहा है।

वहीं जानकार पंडितों के अनुसार एमएलसी ने कांग्रेस नेत्री पर व्यक्तिगत हमला करने के उदेश्य से निगमीकरण का विरोध किया है। वहीं सत्तापक्ष से जुडे अन्य नेता इस मुद्दे पर खुलकर बोलने के बजाय शांत रहो और इंतजार करो की नीति पर कार्य कर रहे हैं। हो भी क्यों न जनता की नाराजगी कोई नहीं मोल लेना चाहता है, क्योकि आगे सभी को चुनाव भी दिख रहा है।