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मंत्री हो या अफसर, आम हो या खास सबकी यही सोच- कम प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग लगें…

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सतत विकास लक्ष्यों को पाने के लिए उद्योग व व्यावसायिक संगठनों के संवेदीकरण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला में खाद्य, संस्कृति मंत्री एवं राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अमरजीत भगत ने कहा कि प्रदेश में कम प्रदूषण फैलाने वाले और आधुनिक तकनीक वाले उद्योग लगाने की आज सख्त जरूरत है। विकास आवश्यक है, किंतु विनाश की शर्त पर मंजूर नहीं। उद्योगों का विकास हो, क्योंकि इसमें हर वर्ग के लोगों को रोजगार मिलता है, बेरोजगारी दूर होती है। उद्योगपतियों को परंपरागत उद्योगों के क्षेत्र से हटकर नए क्षेत्रों में कम प्रदूषण, आधुनिक तकनीक वाले उद्योग लगाने के बारे में सोचना चाहिए।

कार्यशाला में भगत ने कृषि उत्पादों पर आधारित कारखाना खोलने की जरूरत पर बल दिया। राज्य के कृषकों को धान के अलावा दलहनी-तिलहनी लाभदायक फसल के लिए प्रयास करने को कहा है।उन्होंने जोर देकर कहा कि सरल, सुलभ एवं तर्क संगत उद्योग लगाने की योजना पर कार्य करना जरूरी है। कार्यशाला को प्रधानमंत्री किसान योजना और मौसम कार्यकारी निदेशक डॉ. ज्योति पारिख, राज्य योजना आयोग के सदस्य डॉ. के. सुब्रमणियम, मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी, प्रदीप शर्मा तथा राज्य कार्य योजना के निर्देशक मुदित कुमार सिंह ने भी संबोधित किया।

उद्योग मंत्री बोले- उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि हमारी सरकार उद्योग को बढ़ावा देकर राज्य के बेरोजगार युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार दिलाना चाहती है। इसलिए प्रदेश की सभी तहसीलों में छोटे-छोटे उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन का चिन्हित की जा रही है। ब्लाक स्तर पर प्रदूषण रहित नवीन तकनीक पर आधारित छोटा उद्योग स्थापित होंगे।

वन मंत्री ने कहा- वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि प्रदेश में वनोपज संबंधी प्रसंस्करण उद्योगों के स्थापना की अपार संभावना है। ये उद्योग पर्यावरण अनुकूल होंगे और इनमें प्रदेश के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों की भावना के अनुरूप प्रदेश के किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों की कर्जमाफी की गई। 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की गई।