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दिल्ली वालों को भाया छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का जायका, चख रहे फरा, चीला, खुरमी का स्वाद

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छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों का जायका दिल्ली वालों को इन दिनों खूब भा रहा है. आजीविका मिशन की स्व सहायता समूह की महिलाएं मसाला फरा, चीला, दाल भात सब्जी, खुरमी, स्नैक्स आदि सरस मेले में लोगो को परोस रही हैं. इंडिया गेट के पास लगे मेले में बीते रविवार को वीकएंड की वजह से काफी संख्या में लोग पहुंचे. मेले में हर राज्य का अपना स्टॉल है, लेकिन छत्तीसगढ़ के व्यंजनों का जायका लोगों को खूब भा रहा है.

सरस मेले में लगे राज्यों के स्टॉल में उसी राज्य के ख़ास व्यंजनों को परोसा जा रहा है. व्यंजन तैयार करने में बाज़ार के मसालों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है. महिलाएं परंपरागत तरीके से मसालों को खुद तैयार करती हैं. खाने के शौकीन देश ही नहीं विदेशी में अलग अलग स्टॉल में घमुकर व्यंजनों का मजा ले रहे हैं. छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को लेकर लोगों में अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है. बाकि स्टॉल की तुलना में बीते रविवार को यहां ज्यादा भीड़ देखने को मिली.

छत्तीसगढ़ी मसालों से तैयार व्यंजन
स्व सहायता समूह की अजीता साहू ने बताया कि दिल्ली वालों को मसाला फरा, दाल भात सब्जी खूब भा रही है. छत्तीसगढ़ी मसालों से इन्हें तैयार किया जाता है. बाज़ार के मसालों का प्रयोग वे नहीं करते है. उन्होंने बताया कि आजीविका मिशन से जुड़ने से पहले घर मे कृषि से जुड़े काम मे लगी रहती थीं. अब यहां जुड़कर परिवार की आर्थिक रूप से भी मदद कर रही हैं. अजीता ने बताया कि इससे जीवन स्तर बढ़ा है, बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहीं है और अब खुद ही अलग अलग विभागों में जाकर काम भी करवा लेती हैं. इससे पहले सिर्फ कृषि के कार्यो तक ही सीमित रहती थीं.

राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान
छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है. नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित इंडिया इंटर्नैशनल कॉपरेटिव ट्रेड मेले में छत्तीसगढ़ को उत्कृष्ट सहकारी राज्य के पुरस्कार से नवाज़ा गया है. इस पुरस्कार को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने छत्तीसगढ़ हैंडलूम एंड मार्केटिंग कोऑपरेटिव फेडरेशन को प्रदान किया. 11 से 13 तीन दिवसीय मेले में छत्तीसगढ़ हैंडलूम ओर हैंडीक्रैफ़्ट डेवलपमेंट विभाग ने अपने उत्पादों के स्टॉल लगाए थे. इस सहकारी मेले में विदेशों से भी ख़रीददार काफ़ी संख्या में आए थे. मेले में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ और मार्कफेड ने भी स्टॉल लगाया था. मेले में आए लोगों ने छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक रंगो से बने कोसे की साड़ी को हांथों-हाथ लिया. इस मेले में 35 देशों की करीब 150 सहकारी समितियां ने हिस्सा लिया.