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छत्तीसगढ़ : धान के कटोरे में अब जैविक खाद और जैव ईंधन की पहल

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 छत्तीसगढ़ मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मॉडल बन रहा है। किसानों की कर्ज माफी से लेकर धान समेत अन्य कृषि उत्पादों की बेहतर कीमत समेत 10 महीने में सरकार ने इसके लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी योजना की देशभर में सराहना हो रही है। सरकार की इन कोशिशों का ही असर है कि राज्य में कृषि का रकबा और किसानों की संख्या बढ़ी है। अब सरकार धान के कटोरे को जैविक खाद और जैव ईंधन का हब बनाने की रणनीति पर कर रही है। जैव ईंधन को सरकार ने अपनी नई उद्योग नीति में शामिल किया है।

गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के दौरान भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बायो एथेनॉल उत्पादन हेतु केंद्र से सहमति का आग्रह किया है, जिससे बायो फ्यूल के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिल सके।

गोठान से अर्गेनिक खेती

गोठान योजना का उद्देश्य केवल पशुधन की रक्षा नहीं है बल्कि इसके माध्यम से वर्मी कम्पोज और आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना भी है। गोठान को सरकार कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करना की दिशा में बढ़ रही है।

उद्योग नीति में शामिल हुआ एथेनॉल-जैव ईंधन

राज्य सरकार धान से एथेनॉल-जैव ईंधन के उत्पादन के लिए स्थापित होने वाले संयंत्र को विशेष प्रोत्साहन देगी। राज्य में अर्लीबर्ड स्कीम के तहत ऐसी प्रथम छह इकाईयों को दो करोड़ रुपये का विशेष प्रोत्साहन अनुदान दिया जाएगा। राज्य की नई उद्योग नीति में इन उद्योगों को प्राथमिकता वाले उद्योगों में शामिल किया गया है।

छह लाख मीट्रिक टन का होगा एथेनॉल बनाने में उपयोग

राज्य में समर्थन मूल्य पर उपार्जित किए जा रहे धान में से सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता के बाद लगभग 25 लाख मीट्रिक टन धान अतिशेष रहता है। इसमें से लगभग छह लाख मीट्रिक टन धान का उपयोग एथेनॉल के उत्पादन में किया जा सकता है। बायो-एथेनाल उत्पादन संयत्र से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

30 नवंबर को फाइनल होगा टेंडर

अधिकारियों ने बताया कि अतिशेष धान को नष्ट होने से बचाने के लिए और उसके समुचित सदुपयोग के लिए यह पहल की गई है। मार्कफेड से अनिवार्य रूप से धान क्रय की शर्त पर एथेनॉल-जैव ईंधन के उत्पाद के लिए बायो रिफाइनरी उद्योग की स्थापना को प्राथमिकता उद्योगों में सम्मिलित किया गया है। उद्योग विभाग ने निवेश आमंत्रित करने के लिए निवेश की अभिरुचि (ईओआई) 30 सितंबर को जारी की गई। प्री-बिड बैठक 15 अक्टूबर को आयोजित की गई थी। 30 नवंबर को टेंडर फाइनल होगा।

शुरू हुआ पराली दान कार्यक्रम

छत्तीसगढ़ में दो हजार गांवों में गोठान बनाएं है, जहां जन-भागीदारी से परालीदान (पैरादान) कार्यक्रम जारी है। सरकार उसे गोठान तक लाने की व्यवस्था कर रही है। ग्रामीण युवा उद्यमी उसे खाद में बदल रहे है। अब सरकार गांवों में बेलर मशीन देने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री की राय में यह पराली समस्या का एक संपूर्ण हल है। कृषि एक आवर्तनशील प्रक्रिया है, उसके हर उत्पाद वापिस खेतों में जाएंगे, किसी न किसी स्वरूप में, तभी खेती बचेगी, मनुष्य स्वस्थ होगा।

पंजाब- हरियाणा को बताया प्रदूषण से मुक्ति का फार्मूला

पंजाब- हरियाणा की पराली जलाने की वजह से बढ़ रहे प्रदूषण को मुक्ति का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बेहतर फार्मूला सुझाया। उन्होंने बताया कि 100 किलो पराली से लगभग 60 किलो शुद्घ जैविक खाद बन सकता है। इससे उर्वरकता खोती पंजाब की न केवल भूमि का उन्नयन होगा, बल्कि वहां भयानक रूप से बढ़ते कैंसर का प्रकोप भी कम होगा और दिल्ली का स्वास्थ्य भी ठीक होगा।

खरीफ सीजन में धान की स्थिति

विवरण 2018-19 2019-20

किसान पंजीयन 1697890 1962739

धान का रकबा 2560143 2751688

(नोट- रकबा हेक्टेयर में)

तीन लाख किसान और सवा तीन लाख हेक्टेयर बढ़ा रकबा

खेती को प्रोत्साहन देने का असर यह हुआ है कि राज्य में किसानों की संख्या बढ़ गई है। खरीफ सीजन 2018-19 राज्य में करीब 25 लाख 60 हजार 143 हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गई थी। इस वर्ष यह रकबा बढ़कर 27 लाख 51 हजार 688 पहुंच गई है। इसी तरह पिछले वर्ष कुल 16 लाख 97 हजार 890 किसानों ने पंजीयन कराया था। इस वर्ष पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या 19 लाख 62 हजार 739 किसानों ने पंजीयन कराया है।

दूसरे राज्यों बढ़ी रुचि

छत्तीसगढ़ की गोठान योजना की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी है। दूसरे राज्य भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। महीनेभर पहले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे देखने के लिए छत्तीसगढ़ आए थे। उन्होंने गोठना योजना की सराहना करते हुए राजस्थान में भी लागू करने की बात कही है।

ग्रामीण विकास हमारा लक्ष्य

– सरकार ने अब तक जितनी योजनाएं शुरू की है, सभी ग्रामीण बेस है। किसानों की कर्ज माफी और धान की सही कीमत का असर यह हुआ है कि लोग फिर से खेती की तरफ लौटने लगे हैं। इस वर्ष धान का रकबा और पंजीकृत किसानों की बढ़ी हुई संख्या इसका प्रमाण है। नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी योजना पूरी तरह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई है। सरकार गोठन पर जोर दे रही है। यह केवल पशुपालन नहीं है बल्कि इसके भी कई आयाम हैं। इससे सड़कों से मवेशी हटेंगे, इससे सड़क दुर्घटना में कमी आएगी। हम गोठान को कुटीर उद्योग का रूप देना चाह रहे हैं। वहां से वर्मी कम्पोज और आर्गेनिक खाद तैयार करेंगे। इससे आर्गेनिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। राज्य के कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन व विक्रय को बढ़ावा देने के लिए तीन दिवसीय क्रेता- विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया था। – रविंद्र चौबे, मंत्री कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी।