रायपुर। Chhattisgarh Congress छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल में भाजपा सियासी नक्शे में 20 फीसद पर आकर गिर गई है। विधानसभा चुनाव की हताशा के बाद अब नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में भी वोटरों का साथ भाजपा को नहीं मिल पाया। इसकी सबसे बड़ी वजह भाजपा संगठन में आक्रामकता की कमी, प्रदेश नेतृत्व के लचर फैसले और चुनाव प्रचार के लिए कैंपेन में गंभीरता नहीं दिखाने को माना जा रहा है।
इसी का असर हालिया चुनाव परिणामों पर पड़ा है। प्रदेश के सभी दस नगर निगम में महापौर पद गंवाने के बाद अब जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में भी भाजपा को सिर्फ चार से पांच जिलों में ही संभावना नजर आ रही है। ऐसे में प्रदेश के 80 फीसद सियासी नक्शे में कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है।
राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो प्रदेश में लगातार 15 साल तक भाजपा सत्ता में रही। चुनावों में भाजपा के चेहरा रहे(पूर्व सीएम को छोड़कर) तमाम नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। नगरीय निकाय में कांग्रेस ने करिश्मा दिखाते हुए सभी नगर निगम में महापौर और सभापति बनाने में सफलता पाई।
प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब सभी नगर निगम में एक ही पार्टी का महापौर हो। अब पंचायत चुनाव में भी जनता ने इसी प्रकार का परिणाम दिया। कांग्रेस करीब 22 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की मजबूत स्थिति में पहुंच गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो दावा किया कि प्रदेश के 22-23 जिलों में कांग्रेस के जिला पंचायत अध्यक्ष बनेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता ने सरकार के एक साल के काम पर एक बार फिर मुहर लगाई है।
बड़े नेताओं के जिलों में भी हारी भाजपा
भाजपा के बड़े नेताओं के प्रभाव वाले जिलों में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, धमतरी, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा में भाजपा सरकार में मंत्री रहे नेताओं के क्षेत्र में भी करारी हार का सामना करना पड़ा। पंचायत चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के राजनांदगांव और कवर्धा में भाजपा ने बराबरी का मुकाबला जरूर किया, लेकिन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के बिलासपुर में कांग्रेस के 14 और भाजपा के छह जिला पंचायत सदस्य जीते। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के कांकेर में कांग्रेस के दस और भाजपा के सिर्फ दो जिला पंचायत सदस्य जीते।
सक्रिय नहीं हो पा रहा भाजपा संगठन
विानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लोकसभा में 11 में नौ सीट पर जीत दर्ज की लेकिन दंतेवाड़ा और चित्रकोट उपचुनाव, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में गाड़ी पटरी से उतरी ही नजर आई। भाजपा की राजनीति के जानकारों की मानें तो प्रदेश संगठन की सक्रियता कमजोर होने के कारण परिणाम पक्ष में नहीं आ रहा है। धान की खेती वाले जांजगीर-चांपा में कांग्रेस के 14, भाजपा के सात जिला पंचायत सदस्य जीते। वहीं, बलौदाबाजार, महासमुंद, बेमेतरा और धमतरी में भी कांग्रेस को बढ़त मिली।
सरकार को घेरने वाले मुद्दे उठाने में चूके
भाजपा ने चुनाव में धान खरीदी को मुद्दा बनाया। भात पर बात अभियान भी लांच किया, लेकिन बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी ने पूरे कैंपेन को फेल कर दिया। युवाओं के रोजगार, बिजली कटौती सहित अन्य मुद्दों को उठाने में भी भाजपा सफल नहीं हुई। जबकि कांग्रेस सरकार और संगठन अपने एक साल के काम को लेकर जनता के बीच मुस्तैदी से पहुंची और परिणाम अपने पक्ष में कर लिया।