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इजरायल का फेस मास्क जो Corona से 99 फीसदी तक बचाने का दावा करता है

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इजरायल की एक मास्क निर्माता कंपनी ने ऐसा मास्क तैयार किया है, जिसमें जिंक-ऑक्साइड की परत है. ये कोरोना वायरस समेत सभी तरह के बैक्टीरिया और फंगस को नाक-मुंह के भीतर जाने से ने केवल रोकती है, बल्कि उन्हें खत्म कर देती है. खासकर हवा के जरिए कोरोना वायरस फैलने से रोकने में इसे 99 फीसदी से भी ज्यादा कारगर बताया जा रहा है.

इजरायल तकनीक और सैन्य सुरक्षा के मामले में बड़े-बड़े देशों से भी आगे चल रहा है. इस देश में कोरोना का टीकाकरण भी सबसे तेजी से चल रहा है और माना जा रहा है कि मई महीने तक यहां लगभग पूरी ही आबादी को टीका मिल चुका होगा. इस बीच भी इजरायल लगातार मास्क और दवाओं पर प्रयोग कर

रहा है.

इसी कड़ी में हाल में एक मास्क बनाने वाली कंपनी सोनोविया (Sonovia) का नाम आ रहा है. इस कंपनी ने लैब टेस्ट के बाद ऐसा मास्क बनाने का दावा किया, जो कोरोना वायरस रोकने के लिए सबसे ज्यादा बढ़िया माना जा रहा है. खास बात ये है कि मास्क रियूजेबल है यानी बार-बार इस्तेमाल हो सकता है.

मास्क की ऊपर सतह पर जिंक ऑक्साइड के काफी सूक्ष्म कण लगे हुए हैं, जो जर्म्स को मारने का काम करते हैं. ऐसे में जैसे ही जर्म्स हवा के जरिए मास्क के सामने आते हैं, वे वहीं के वहीं खत्म हो जाते हैं. जेरुशलम पोस्ट में इस पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया गया है.
परीक्षण के सबसे हालिया दौर के परिणामों से पता चला कि मास्क के कपड़े से संपर्क में आने के 30 मिनट के भीतर वायरस खत्म हो जाते हैं. सोनोमास्क की एक खासियत ये भी है कि जहां वर्तमान में मौजूद ज्यादातर मास्क दोबारा इस्तेमाल करने लायक नहीं होते या फिर जल्दी खराब हो जाते हैं, वहीं ये मास्क 55 बार धुलाई के बाद भी असरदार पाया गया.

परीक्षण के सबसे हालिया दौर के परिणामों से पता चला कि मास्क के कपड़े से संपर्क में आने के 30 मिनट के भीतर वायरस खत्म हो जाते हैं. सोनोमास्क की एक खासियत ये भी है कि जहां वर्तमान में मौजूद ज्यादातर मास्क दोबारा इस्तेमाल करने लायक नहीं होते या फिर जल्दी खराब हो जाते हैं, वहीं ये मास्क 55 बार धुलाई के बाद भी असरदार पाया गया.

इजरायल की मास्क और फेब्रिक निर्माता इस कंपनी के मास्क से दुनियाभर के फैशन ब्रांड भी प्रभावित होते दिख रहे हैं. फैशन के मामले में अग्रणी कई कंपनियां सोनोविया के साथ करार कर रही हैं ताकि ऐसे कपड़े या एक्सेसरीज तैयार हो सकें, जो वायरस के इस दौर में लोगों को घर से बाहर सुरक्षित रख सकें.

मास्क में कंपनी जिंक ऑक्साइड के इस्तेमाल की बात कर रही है तो थोड़ी जानकारी इस बारे में भी लेते हैं. जिंक ऑक्साइड एक अकार्बनिक कंपाउंड है, जिसका इस्तेमाल मरहम, फेस क्रीम से लेकर पेंट बनाने में भी होता है. इसे एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल भी माना जाता है. ये ठीक उसी तरह से काम करता है, जैसे तांबा या चांदी जैसी धातुएं करती हैं. बता दें कि घाव भरने के लिए चांदी के नैनो पार्टिकल्स का उपयोग कई दवाओं में होता आया है. इसी तरह से कंपनी ने मास्क में जिंक ऑक्साइड का इस्तेमाल किया. फिलहाल ये मास्क बाजार में नहीं आया है और न ही इसकी कीमत की कोई जानकारी मिल सकी है लेकिन अगर कंपनी का दावा सही है तो ये मास्क समेत पीपीई किट में काफी क्रांतिक्रारी बदलाव ला सकेगा, इसमें कोई शक नहीं.

वैसे मास्क में अलग-अलग तरह के प्रयोगों के लिए इजरायल कई महीनों से चर्चा में रहा है. जैसे साल 2020 के अगस्त में वहां की गहने बनाने वाली एक कंपनी ने दावा किया था कि वो वायरस से बचने के लिए दुनिया का सबसे महंगा मास्क बना रही है जिसकी कीमत 15 लाख डॉलर होगी. 18 कैरट सोने से बने इस मास्क में 3,600 काले तथा सफेद हीरे और एन99 फिल्टर लगाने की बात कही गई थी. ‘यवेल कम्पनी’ का ये भी कहना था कि एक ग्राहक की मांग पर ये मास्क बनाना जा रहा है. हालांकि ये जानकारी नहीं मिल सकी कि मास्क आखिरकार तैयार हो सका या फिर नहीं.