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देश में दो महीने बाद कोरोना के नए केस हुए एक लाख से कम, जानिए आखिर कैसे काबू में आई दूसरी लहर

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देश में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के नए मामलों में बेहद कमी देखने को मिल रही है. अप्रैल की शुरुआत के बाद अब करीब 70 दिनों बाद रोजाना आने वाले नए मामले 1 लाख के आंकड़े के नीचे आए हैं. वहीं मौतों की संख्‍या में भी मध्‍य अप्रैल के बाद से कमी देखने को मिली है. कोरोना की दूसरी लहर में देश में अस्‍पतालों से लेकर अन्‍य बुनियादी सुविधाओं तक में कमी देखी जा रही थी. लेकिन पिछले कुछ महीनों में कोरोना के केस कैसे बढ़े और कैसे कम हुए, इसके बारे में हम आपको बता रहे हैं…
इससे पहले कब देश में नए कोरोना केस 1 लाख से कम थे?
वो तारीख थी 3 अप्रैल. covid19india.org द्वारा जुटाए 7-दिनी औसत आंकड़ों के अनुसार उस दिन भारत में 24 घंटे में 92,994 नए कोरोना केस दर्ज हुए थे. उससे एक दिन पहले 4000 कोरोना केस कम आए थे. 4 अप्रैल को देश में कुल 103,794 नए मामले दर्ज किए गए थे. 3 अप्रैल के हिसाब से यह 10,800 अधिक केस थे. हालांकि, 5 अप्रैल को फिर से मामले 1 लाख के आंकड़े से नीचे आए थे. तब 96,563 नए केस दर्ज किए गए थे

इसके बाद 6 अप्रैल को फिर कोरोना के नए केस 1,15,312 दर्ज किए गए थे. 7 जून को मामले फिर 1 लाख के नीचे आए और 87,295 केस दर्ज हुए.
किस दिन सबसे अधिक केस दर्ज किए गए?
देश में कोरोना केस 1 लाख के पार जाने के करीब एक महीने बाद 5 मई को भारत में एक दिन के सर्वाधिक कोरोना केस दर्ज किए गए थे. 5 मई को भारत में 4,14,280 केस आए थे. यह दूसरी लहर के दौरान सर्वाधिक मामले थे. इसके बाद लगातार नए मामलों में गिरावट आती गई और अब ये मामले 1 लाख के नीचे आ गए.

रोजाना हो रही मौतों के आंकड़ों का क्‍या?
जैसे ही नए कोरोना मामलों की संख्या कम होती गई है तो रोजाना हो रही मौतों की संख्‍या में भी कमी देखने को मिली. 21 अप्रैल के बाद से यह अपने निचले स्‍तर पर पहुंच गया. तब सात दिन का औसत 2101 था. 7 जून को यह आंकड़ा 2115 हो गया.

देश में पिछले साल जनवरी में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. तबसे अब तक 18 मई को देश में रोजाना हो रही मौतें सर्वाधिक थीं. यह आंकड़ा 4529 था. देश में सितंबर, 2020 में कोरोना की पहली लहर के सर्वाधिक मामले आए थे. लेकिन यह पहली लहर का चरम नहीं था. पहली लहर का चरम 16 जून, 2020 को दिखा था जब सर्वाधिक 2004 मौतें देखने को मिली थीं. वहीं दूसरी लहर के दौरान 19 अप्रैल को कोरोना से हो रही मौतों का आंकड़ा 2000 से कम था. तब 1757 लोगों की मौत हुई थी.
टेस्‍ट पॉजिटिविटी रेट का हाल
कोरोना की दूसरी लहर में टेस्‍ट पॉजिटिविटी रेट में भी बढ़ोतरी देखी गई. इस दौरान कई शहरों में हर दो में से एक व्‍यक्ति कोरोना संक्रमित निकल रहा था. 25 अप्रैल को यह 25.3 फीसदी था. इससे पहले पिछले साल 23 जुलाई को सर्वाधिक टेस्‍ट पॉजिटिविटी रेट थी. यह 13.7 फीसदी था.

देश ने कोरोना की दूसरी लहर में क्‍या झेला?
अस्‍पतालों में ऑक्‍सीजन की कमी के कारण लोगों की मौत होने की बातें सामने आई थीं. श्मशान घाटों में अंतिम संस्‍कार के लिए भीड़ जुट रही थी. अस्‍पतालों में बेड नहीं थे. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया. वहीं सरकार ने ऑक्‍सीजन की आपूर्ति के लिए ट्रेनें चलाईं. पहली लहर की तरह ही स्‍पेशल आइसोलेशन फैसिलिटी बनाई गईं. एनजीओ और चैरिटेबल ट्रस्‍ट ऑक्‍सीजन की कमी दूर करने के लिए आगे आए.
देश में दवाओं और उपकरणों की भी कमी ने समस्‍या को और बढ़ाया. ब्‍लैक फंगस की दवा की भी कमी हुई. संकट के समय में विदेश से मदद लेनी पड़ी.