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बिलासपुर : बिलासपुर SP के तबादले पर पॉलिटिक्स:​​​​​​​नेता प्रतिपक्ष का राज्य सरकार पर हमला, पूछा- कहीं ये विधायक और पुलिस के बीच विवाद का रिएक्शन तो नहीं?, कांग्रेस बोली-ये रूटीन ट्रांसफर

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छत्तीसगढ़ में बुधवार को भारतीय पुलिस सेवा और राज्य पुलिस सेवा के 41 अफसरों के तबादले हुए हैं। इसमें बिलासपुर एसपी प्रशांत अग्रवाल का नाम भी शामिल हैं। जिसको लेकर सीनियर बीजेपी लीडर और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राज्य सरकार पर जोरदार निशाना साधा है। कौशिक ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार में ट्रांसफर उद्योग बहुत अच्छा फल फूल रहा है। इसके अलावा उन्होने प्रशांत अग्रवाल के ट्रांसफर पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सूरजपुर कलेक्टर के थप्पड़कांड के बाद ट्रांसफर हुआ था, तब कांग्रेसियों ने पटाखे फोड़े थे। तो पिछले दिनों जो बिलासपुर के पुलिस थाने में विधायक शैलेष पांडे और पुलिस के इधर, नेता प्रतिपक्ष के आरोप पर कांग्रेस ने भी जवाब दिया है। पीसीसी प्रवक्ता अभय राय ने कहा है कि ये सिर्फ रूटीन ट्रांसफर है, प्रशांत अग्रवाल बिलासपुर से बड़े जिले यानी दुर्ग गए हैं। इससे पता चलता है कि उन्होंने बिलासपुर में अच्छा काम किया था। अभय राय ने आगे कहा है कि बीजेपी के पास आरोप लगाने के अलावा कोई काम नहीं है। बुधवार को जारी हुई ट्रांसफर लिस्ट के मुताबिक प्रशांत अग्रवाल अब दुर्ग जिले की जिम्मेदारी संभालेंगे। वहीं बिलासपुर एसपी की कमान अब दीपक कुमार झा के पास होगी।
दरअसल, बीजेपी ने एसपी प्रशांत अग्रवाल के ट्रांसफर को पिछले दिनों तारबहार थाने में हुए घटनाक्रम से जोड़ा है। पिछले दिनों ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक आरक्षक से बदसलूूकी के आरोप में रेलवे क्षेत्र ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मोतीलाल थारवानी को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद बिलासपुर विधायक शैलेश पांडे ने थाने पहुंच कर पुलिस एक्शन पर सवाल खड़े किए थे। इतना ही नहीं पांडे जब तारबहार थाना पहुंचे तो उनकी थाना इंचार्ज कलीम खान से तीखी बहस भी हुई थी। बाद में विधायक की तरफ से भी ट्रैफिक आरक्षक का पुराना वीडियो वायरल किया गया था, जिसमें वह मारपीट करता दिखाई दे रहा था
8 महीने पहले भी विधायक शैलेष पांडे इसी तरह पुलिस से उलझ चुके हैं । मौका था कि तारबहार थाने के उद्घाटन कार्यक्रम का इस कार्यक्रम में मंच से विधायक ने कहा कि पुलिस से व्यापारी और शहर के लोग दहशत में हैं । पुलिस वसूली में लगी है । विधायक ने यहां तक कह दिया कि रेट लिस्ट लगवा दें , जिससे लोगों को पता चल सके कि कितना पैसा देना है । तब विधायक के तेवर देख गृहमंत्री को बीच में दखल देना पड़ा।