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कलह का साइड इफेक्ट: चुनावी मुहिम में भी पिछड़ी पंजाब कांग्रेस, कैप्टन सोचते रहे और केजरीवाल दांव खेल गए

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अपनी अंदरूनी लड़ाई में व्यस्त पंजाब कांग्रेस यह भूल गई कि उसे 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी भी करनी है। पार्टी की इसी अंदरूनी व्यस्तता का फायदा उठाते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कन्वीनर अरविंद केजरीवाल मंगलवार को पंजाब में अपनी पार्टी का चुनावी बिगुल फूंक गए।

चिंताजनक बात यह रही कि मुफ्त बिजली के जिस चुनावी एजेंडे को कांग्रेस अगली बार इस्तेमाल करने जा रही थी उससे पहले ही केजरीवाल ने यह एजेंडा हथिया लिया। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पिछले सप्ताह दिल्ली से लौटने के बाद प्रेस कांफ्रेंस करके 200 यूनिट मुफ्त बिजली का चुनावी वादा करने वाले थे, लेकिन दिल्ली में हाईकमान के साथ उनकी वार्ता बहुत अधिक सुखद नहीं रही और मायूस होकर लौटे कैप्टन ने चुप्पी साध ली। इस बीच केजरीवाल ने कांग्रेस से और एक कदम आगे बढ़ते हुए पंजाब में 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का एलान कर दिया। केजरीवाल के इस पैंतरे से कांग्रेस इतनी हतप्रभ हुई कि प्रतिक्रिया स्वरूप कोई बयान भी जारी नहीं किया।

भाजपा और अकाली दल ने केजरीवाल को घेरने के लिए पूरी ताकत से हमले किए, लेकिन कांग्रेस की तरफ से अगले दिन विधायक राजकुमार वेरका आगे आए जबकि अन्य किसी भी बड़े नेता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। केजरीवाल अब दो महीने बाद चंडीगढ़ आकर पंजाब में बेरोजगारी और शराब माफिया के अलावा नशा तस्करी के मुद्दों पर अपना चुनावी एजेंडा रखेंगे। वहीं, इस अवधि में प्रदेश कांग्रेस क्या कदम उठाएगी इस बारे में अभी तक कोई भी नेता कुछ कहने को तैयार नहीं है।

वहीं पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिंह सिद्धू के बीच चल रही रस्साकसी को तालमेल में बदलने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाल लिया है। बुधवार को वह पहले राहुल गांधी से मिली, इसके बाद सिद्धू को सुना और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास विमर्श के लिए गई। इसके बाद प्रियंका राहुल के घर आई और दोनों भाई-बहन एक साथ कांग्रेस अध्यक्ष के पास पहुंचे। शाम को सिद्धू ने राहुल गांधी से मुलाकात की। यह बड़ा संकेत है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही मुद्दे का समाधान निकल आएगा।