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भारत को एक और सफलता, DRDO ने किया मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defense Research & Development Organization) ने मंगलवार को एक मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (Man Portable Anti Tank Guided Missile) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. रक्षा मंत्रालय के प्रधान प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा स्वदेशी रूप से विकसित की गई इस एंटी टैंक मिसाइल को थर्मल साइट के साथ एकीकृत मानव-पोर्टेबल लॉन्चर से लॉन्च किया गया. डीआरडीओ की वेबसाइट के मुताबिक यह मिसाइल भारतीय सेना की पैदल सेना और पैराशूट (विशेष बल) के लिए है.

इस मिसाइल को इजेक्शन मोटर का इस्तेमाल कर एक कनस्तर से ‘सॉफ्ट’ लॉन्च किया जा सकता है. यह टार्गेट्स को भेदने के लिए एक अत्याधुनिक आईआईआर सीकर का उपयोग करती है. ये पोर्टेबल मिसाइल है जिसे आदमियों द्वारा एक से दूसरी जगह लेकर जाया जाता है. इसे 15 किलो से कम के लॉन्च भार के साथ अधिकतम 2.5 किलोमीटर की रेंज तक एक तिपाई का उपयोग कर लॉन्च करने के लिए बनाया गया है, इसके कंट्रोल फ्लाइट टेस्ट सफलतापूर्वक किए गए हैं और गाइडेड फ्लाइट टेस्ट (आईआईआर सीकर के साथ) की योजना बनाई गई है.

ब्रह्मोस के नए संस्करण का भी सफल परीक्षण
इससे पहले मंगलवार को ही भारत ने आधुनिक सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल (Supersonic Brahmos Missile) के नये संस्करण का मंगलवार को भारतीय नौसेना के गुप्त तरीके से निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत से सफल परीक्षण-प्रक्षेपण किया. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कहा कि मिसाइल ने सटीक तरीके से निर्धारित लक्ष्य पर निशाना साधा. डीआरडीओ ने ट्वीट किया, ‘‘ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के समुद्र से समुद्र में प्रहार करने वाले आधुनिक संस्करण का आज आईएनएस विशाखापत्तनम से परीक्षण किया गया. मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य पर सटीक तरीके से निशाना साधा.’’

रक्षा मंत्री ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मिसाइल के सफल प्रक्षेपण से भारतीय नौसेना की ‘मिशन संबंधी तैयारियों’ की दृढ़ता स्पष्ट हुई है. उन्होंने ट्वीट कर भारतीय नौसेना और डीआरडीओ को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी.

भारत-रूस का संयुक्त उपक्रम ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का उत्पादन करता है जिन्हें पनडुब्बियों, जलपोतों, विमान या भूतल पर स्थित प्लेटफॉर्मों से प्रक्षेपित किया जा सकता है.ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना रफ्तार से प्रक्षेपित हो सकती हैं.