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राजस्थान हाई कोर्ट के वकीलों में रुतबे की जंग, वरिष्ठता को लेकर घमासान, जानें क्यों बरपा हंगामा

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करीब 10 साल बाद राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) में वरिष्ठ अधिवक्ताओं को नामित किया गया है. लेकिन अधिवक्ताओं के चयन को लेकर अब बवाल भी शुरू हो गया है. जिन अधिवक्ताओं का इंटरव्यू के बाद भी चयन नहीं हुआ है वे धरने पर बैठ गए हैं. कई अधिवक्ता तो ऐसे हैं जो जयपुर की बैंच की स्थापना के पहले से ही वकालत कर रहे है, लेकिन उन्हें भी वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर नामित नहीं किया गया है. हाई कोर्ट प्रशासन ने जयपुर बैंच में 15 और जोधपुर बैंच में 11 अधिवक्ताओं को वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर नामित किया गया है. इसके लिए दोनों जगह 129 अधिवक्ताओं ने आवेदन किया था. लेकिन हाई कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने इनमें से केवल 26 अधिवक्ताओं का ही चयन किया. इस पर अब बवाल शुरू हो गया है.

दरअसल वरिष्ठ अधिवक्ता होना वकालत और न्याय जगत में सम्मान की बात होती है. यही वजह है कि जो अधिवक्ता 40 साल और इससे अधिक समय से वकालत कर रहे हैं उनका चयन नहीं होने के कारण उनमें निराशा का भाव है. वहीं कई अधिवक्ताओं ने चयन प्रक्रिया पर सवाल भी खड़े किए हैं. अधिवक्ता विमल चौधरी, पीसी भंडारी और विजय पूनिया सहित कई अधिवक्ता इसके खिलाफ धरने पर बैठे हैं.

कौन होता है वरिष्ठ अधिवक्ता
नामित वरिष्ठ अधिवक्ता स्वयं के नाम से केस फाइल नहीं कर सकते. केस की ड्रॉफ्टिंग और क्लाइंट से सीधी बात नहीं कर सकते. विद्आउट असिस्टेंट कोर्ट में बहस नहीं कर सकते हैं. यह कोर्ट को विधि के बिंदु पर असिस्ट कर सकते हैं. बिना वकालतनामे के किसी भी केस में देश की किसी भी अदालत में पैरवी कर सकते हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता का कोर्ट-गाउन हाई कोर्ट जज के समान होता है. इनके नाम का गजट नोटिफिकेशन में उल्लेख होता है.

नाराज वकील बोले हाई कोर्ट को लिखेंगे पत्र
वरिष्ठ अधिवक्ता नामित नहीं होने का कई अधिवक्ताओं में जबर्दस्त रोष है. उनका कहना है कि वे हाई कोर्ट प्रशासन को पत्र लिखकर उनके मरने के बाद रेफरेंस नहीं करने की भी बात कहेंगे. धरने पर बैठे अधिवक्ता विमल चौधरी ने तो यह तक कह डाला कि वे हाई कोर्ट प्रशासन को पत्र लिखकर कहेंगे कि उनके मरने के बाद उनके लिए कोर्ट में रेफरेंस (शोक सभा) नहीं रखा जाए.