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भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार खरीददार देश

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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर के बावजूद भारत दुनिया में अब भी सबसे बड़ा हथियार और मिलिट्री साजो सामान आयात करने वाला देश बना हुआ है. स्वीडन स्थित थिंक टैंक संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सिपरी (Stockholm International Peace Research Institute -SIPRI) ने आज जारी अपने आंकड़े में बताया है कि भारत एक बार फिर हथियारों और सैन्य उपकरणों के खरीददारों में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश के रूप में उभरा है. दुनिया में कुल हथियारों के आयात का भारत 11 प्रतिशत आयात करता है. इसके बाद सऊदी अरब, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और चीन अगले चार सबसे बड़े आयातक देश हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, रूस और फ्रांस क्रमशः 39 प्रतिशत, 19 प्रतिशत और 11 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दुनिया के तीन सबसे बड़े हथियार निर्यातक देश हैं. सिपरी द्वारा रिपोर्ट में पिछले पांच साल (2017-2021) में हथियारों के आयात-निर्यात का विश्लेषण किया गया है.

रूस से 21 प्रतिशत आयात नीचे आया
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का हथियार आयात 21 प्रतिशत तक गिर गया है. इसके बावजूद इन पांच सालों में भारत ने सबसे ज्यादा हथियारों का आयात किया है. इन पांच सालों के दौरान भारत ने कुल हथियार आयात का 11 प्रतिशत हिस्सा अपने नाम किया है. 2012 से 2016 और 2017 से 2021 की अवधि के दौरान रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता देश बना हुआ है. हालांकि इस अवधि के दौरान भारत ने रूस से पहले के मुकाबले 47 प्रतिशत हथियारों का आयात कम किया है. भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्रों में कई कार्यक्रम को धक्का लगा है. इससे पहले रूस से भारत में कुल हथियारों का 69 प्रतिशत आयात होता था.

फ्रांस से 27 प्रतिशत हथियार
रूस से आयात गिरने की भारपाई दूसरे देशों से की जा रही है. अब फ्रांस से भारत ने पिछले पांच साल में रूस के बाद सबसे ज्यादा हथियारों का आयात किया है. पिछले पांच साल के दौरान भारत ने अपने कुल हथियारों के आयात में 27 प्रतिशत हथियार औऱ मिलिट्री साजो सामान फ्रांस से मंगाया है. जबकि अमेरिका भारत को हथियार देने में अब तीसरे नंबर पर बना हुआ है. अमेरिका से भारत ने अपने कुल आयात का 12 प्रतिशत आयात किया है. विश्लेषकों का मानना है कि भारत चीन और पाकिस्तान की ओर बढ़ते खतरे के मद्देनजर अब इतने ज्यादा हथियारों की खरीददारी कर रहा है. दूसरी ओर स्वदेशी तकनीकी से हथियारों को खुद विकसित करने में अब भी काफी समय लग रहा है. इन सब कारणों से भारत को अब भी दूसरे देशों से हथियार और मिलिट्री साजो सामान मंगाना पड़ता है.