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भारत में खत्म हो गया कोरोना! राज्यों के प्रतिबंध हटाने को एक्सपर्ट्स ने बताया जल्दबाजी, दे दी ये चेतावनी

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देश के कई राज्‍यों ने कोरोना केसों (Corona Case) में कमी को देखते हुए कोरोना प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटा लिया है, दिल्‍ली और महाराष्‍ट्र में मास्‍क (Corona Mask) लगाना भी जरूरी नहीं रहा है. हालांकि इससे पहले दिल्‍ली में मास्‍क पहनना अनिवार्य था और इसके उल्‍लंघन पर पहले 2000 रुपए और फिर 500 रुपए का जुर्माना तय था. देश में कोविड -19 मामलों में निरंतर गिरावट के बीच जब कोरोना पाबंदियों में छूट दी जा रही है, तब देश के विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि प्रतिबंधों को पूरी तरह से दूर करना जल्दबाजी हो सकती है. उन्‍होंने कहा है कि लोगों को मास्‍क लगाते रहना ही चाहिए. इससे कोरोना वायरस, इन्‍फ्लूएंजा और स्‍वाइन फ्लू जैसे अन्‍य संक्रमणों से बचा जा सकता है.

देश के प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट टी जैकब जॉन ने कहा कि चूंकि भारत में महामारी ‘खत्म’ हो गई है, इसलिए SARS-CoV-2 संचरण को कम करने के लिए मास्क के उपयोग की आवश्यकता नहीं है. हालांकि सार्वजनिक स्थानों पर स्वैच्छिक रूप से मास्क पहनने को बढ़ावा देना एक अच्छा विचार है. इससे टीबी, फ्लू वायरस, अन्य श्वसन वायरस, एडेनोवायरस, कॉमन कोल्ड वायरस आदि सहित धूल और अन्य संक्रमणों को कम किया जा सकता है. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च सेंटर ऑफ एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी के पूर्व निदेशक जॉन ने कहा कि मास्‍क पहनने की आदत बीमारियों को कम करेगी. वर्तमान में, हम गुर्दा प्रत्यारोपण के रोगियों को मास्क पहने हुए देखते हैं; लेकिन मास्‍क पहनने से सभी को लाभ होगा. बसों, ट्रेनों, हवाई जहाज आदि में मास्‍क पहनना ही चाहिए.

वायरोलॉजिस्ट टी जैकब जॉन ने कहा कि यह मेरी निजी राय है कि सभी अस्पताल परिसरों, आउट पेशेंट क्लीनिकों और सभी कतारों और वेटिंग एरिया में मास्क पहनने का सक्रिय प्रचार होना चाहिए. कर्मचारियों और रोगियों, रिश्तेदारों, आगंतुकों आदि को मास्‍क पहनना चाहिए. फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के पल्मोनोलॉजी विभाग के अतिरिक्त निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ रवि शेखर झा ने कहा कि मास्क पहनना अनिवार्य होना चाहिए और इस आदत को बनाए रखना होगा. कोरोना नियम और मास्‍क को पूरी तरह से छोड़ना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कई लोगों की जान गई है, यह महामारी ऐसी थी, जिसे आधुनिक दुनिया ने पहले देखा नहीं था. कोरोना महामारी के दौर को भूलना नहीं चाहिए. यह सच है कि भारत में लगभग सभी को टीका लग चुका है, लेकिन यह टीका संक्रमण से नहीं बचाता. संक्रमण भले ही घातक न हो, लेकिन इससे कई महीनों तक कमजोरी बनी रह सकती है.