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भारत-रूस संबंधों पर बार-बार अमेरिका की धमकी और फिर सफाई, आखिर क्या है राष्ट्रपति बाइडेन की मजबूरी

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यूक्रेन पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हमले (Russia-Ukraine War) के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए और दुनिया के तमाम देशों पर दबाव डालकर कहा कि, वे भी रूस का बहिष्कार करें. इस मुश्किल दौर में चीन और पाकिस्तान रूस के साथ खड़े नजर आए लेकिन भारत सीधेतौर पर खेमेबाजी से दूर रहा. हालांकि भारत ने बार-बार जोर देकर कहा कि, बातचीत के जरिए रूस और यूक्रेन के बीच तनाव को खत्म किया जाए. लेकिन अमेरिका चाहता रहा कि भारत उसकी बात माने. अमेरिका ने कई मौकों पर भारत को चेतावनी दी और कहा कि रूस को लेकर भारत के इस रूख के परिणाम दीर्घकालिक होंगे.

हालांकि एक ओर अमेरिका ने सख्त लहजा अपनाया वहीं दूसरी ओर डैमेज कंट्रोल भी करता रहा. बाइडेन प्रशासन सफाई भी देता रहा कि, यह कोई चेतावनी नहीं थी. आखिर क्या वजह है कि भारत और रूस के संबंधों में अमेरिका सीधेतौर पर दखल नहीं देना चाहता है. हालांकि अमेरिका इस बात से नाराज है कि भारत रूस से लगातार तेल खरीद रहा है. इसके लिए वॉशिंगटन ने बार-बार नई दिल्ली पर दबाव बनाने की कोशिश की.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव, जेन साकी ने कहा कि, यह हर देश का अपना निर्णय है कि वह रूस से तेल खरीदे या नहीं. भारत अपने कुल ऊर्जा आयात का सिर्फ 1-2 प्रतिशत ही रूस से खरीदता है. जबकि अमेरिका से आयात का 10 फीसदी खरीदता है. इस दौरान अमेरिका की कोशिश रही कि भारत रूस से अपने संबंधों को मजबूत नहीं करे और तेल ही नहीं हथियारों को लेकर भी रूस पर अपनी निर्भरता खत्म करे.

रूस को लेकर भारत-अमेरिका में बढ़ती नाराजगी के बीच जब अमेरिकी अधिकारी दलीप सिंह भारत यात्रा पर पहुंचे तो बाइडेन प्रशासन के तेवर ढीले पड़ गए. दलीप सिंह के दौरे के बाद अमेरिका की ओर से आए बयानों से यह नजर आने लगा कि यूएस, भारत और रूस संबंधों के बीच नहीं पड़ना चाहता है.
इससे पहले अमेरिका चाहता था कि भारत रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम नहीं खरीदे वरना काटसा के तहत भारत पर बैन लगाया जाएगा. लेकिन नई दिल्ली अमेरिका के आगे नहीं झुका और इसके बाद यूएस ने भी भारत पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया.

इस पूरी समयावधि में अमेरिका भारत को चेतावनी देता रहा लेकिन कोई एक्शन नहीं ले पाया. इसकी सबसे बड़ी वजह है चीन. क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडेन को दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में चीन को बैलेंस करना एक बड़ी चुनौती है और इसके लिए वह क्वाड को मजबूत कर रहा है. इस समूह में अमेरिका भारत को खास प्राथमिकता दे रहा है. क्वाड में ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हैं.
बता दें कि आज भारत-अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता होने वाली है और दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बात हो सकती है कि भारत के रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका राजी हो सकता है. वहीं पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी आज वर्चुअल मीटिंग करने वाले हैं. इससे पहले व्हाइट हाउस ने बयान जारी करके फिर साफ किया है कि भारत के साथ हमारी साझेदारी दुनिया में हमारे सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है.