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चीन के CPEC प्रोजेक्ट को झटका देने की तैयारी में है पाकिस्तान की नई सरकार

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पाकिस्तान (Pakistan) में सियासत बदल चुकी है. नई सरकार ने अब दोस्त चीन को तगड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है. दरअसल, पाकिस्तान में शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) की सरकार ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा प्राधिकरण (CPEC) को खत्म करने के लिए एक प्रक्रिया शुरू की है. पाकिस्तान के योजना मंत्री ने कहा कि यह एक ‘‘अनावश्यक संगठन’’ है, जिसने संसाधनों को बर्बाद किया और महत्वाकांक्षी क्षेत्रीय संपर्क कार्यक्रम के त्वरित कार्यान्वयन को विफल किया.

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ समाचार पत्र के अनुसार, योजना मंत्री अहसान इकबाल ने संबंधित अधिकारियों को प्राधिकरण को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया, क्योंकि चीनी बिजली उत्पादकों ने 300 अरब रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं होने के कारण 1,980 मेगावाट उत्पादन क्षमता को बंद कर दिया है.

2019 में एक अध्यादेश के माध्यम से स्थापित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्राधिकरण का उद्देश्य सीपेक से संबंधित गतिविधियों को तेज करना, विकास के नए माध्यम की खोज करना, क्षेत्रीय और वैश्विक संपर्क के माध्यम से परस्पर उत्पादन नेटवर्क की क्षमता को खोलना था.
नए योजना मंत्री ने दी ये जानकारी
नव नियुक्त योजना मंत्री के अनुसार, उनके अधिकारी ‘‘एक संक्षिप्त विवरण पेश करके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से सीपेक प्राधिकरण को खत्म करने के लिए मंजूरी का अनुरोध करेंगे.’’ इकबाल ने समाचारपत्र को बताया कि प्राधिकरण एक “अनावश्यक संगठन है जिसके द्वारा संसाधनों की बर्बादी की गई है, जिसने सीपीईसी के त्वरित कार्यान्वयन को विफल किया है.’’

CPEC प्राधिकरण को खत्म करने का निर्णय पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की समानांतर व्यवस्था की स्थापना के खिलाफ बनाई गई नीति के अनुरूप है. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की पूर्ववर्ती सरकार को प्राधिकरण को स्थापित करने में दो साल लगे जो काफी हद तक निष्क्रिय रहा.

क्या है CPEC?
चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर या सीपीईसी चीन का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन जैसे विवादित इलाकों से होकर गुजरता है. भारत इस प्रोजेक्ट का विरोध करता है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है. मुख्य तौर पर यह एक हाइवे और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है जो चीन के काशगर प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगा. इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में बंदरगाह, हाइवे, मोटरवे, रेलवे, एयरपोर्ट और पावर प्लांट्स के साथ दूसरे इंफ्रस्क्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को डेवलप किया जाएगा.

सीपीईसी को बनाने में चीन भारी निवेश कर रहा है. सीपीईसी की कुल लागत 46 अरब डॉलर (करीब 31 लाख करोड़ रुपये) है. सीपीईसी के साथ पाकिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी भारी निवेश किया जा रहा है.

13 नवंबर 2016 को सीपीईसी के एक हिस्से को खोला गया
13 नवंबर 2016 को सीपीईसी के एक हिस्से को खोल दिया गया. इसके अलावा कुछ पावर प्रोजेक्ट्स को भी 2017 के अंत में खोला गया. सीपीईसी के तहत मजबूत हाइवे और रेल नेटवर्क तैयार किया जा रहा है साथ ही ग्वादर और कराची के लिए अलग से हाइवे बनाया जाएगा. इसके अलावा लाहौर और कराची के बीच 1100 किलोमीटर लंबा मोटरवे बनाया जाएगा और रावलपिंडी और चीन सीमा तक बने हाइवे को पूरी तरह से नया बनाया जाएगा.

कराची, पेशावर की मुख्य रेलवे लाइन पर दौड़ने वाली ट्रेन की रफ्तार को दिसंबर 2019 तक अपग्रेड करके 160 किलोमीटर प्रतिघंटा करने की योजना है.