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राज्यसभा की पहली बैठक आज के दिन ही हुई थी, जानें इसके बारे में 4-उपयोगी तथ्य

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संसद का उच्च सदन राज्यसभा (Rajya Sabha), इन दिनों खबरों में है. कारण कि इस सदन की 57 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 12 मई को राज्यसभा चुनावों (Rajya Sabha Elections) का कार्यक्रम घोषित किया. इसके मुताबिक, विभिन्न राज्यों से संबंधित इन सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है. उसी दिन नतीजे भी आ जाएंगे. वैसे, इस बार इन चुनावों के मौके पर एक संयोग जुड़ा है. वह ये कि 13 मई को उस अवसर के 70 साल पूरे हुए हैं, जब राज्यसभा की पहली बैठक हुई थी. वह तारीख साल 1952 की थी. ऐसे में इस सदन के बारे में 4-उपयोगी तथ्यों (The-4-Useful) से कुछ और जानकारी मिल जाए, तो बेहतर ही होगा. सो, जान लेते हैं, इस बारे में.

हर दो साल में चुनाव, बीच-बीच में उपचुनाव

राज्यसभा (Rajya Sabha) के बारे में अक्सर कभी-कभी भ्रम की स्थिति बन जाती है. खास तौर पर बीच-बीच में जब उपचुनाव (By-Election) होते हैं, तो बहुत से लोग उसे चुनाव (Election) कह दिया करते हैं. जबकि राज्यसभा से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों में स्पष्ट है कि इसके सदस्यों का चुनाव हर दो साल में होगा. सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है. यह कार्यकाल पूरा हो जाने पर जितने सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं, उनकी सीटें तब तक खाली ही रहती हैं, जब तक नियमित चुनाव का समय नहीं आ जाता. मसलन- जैसे अभी जून में चुनाव हो रहे हैं, तो अगले 2024 में इसी महीने के आसपास होंगे. इस बीच की समयावधि में जो सदस्य कार्यकाल पूरा कर जाएंगे. उनकी सीटें खाली रह जाएंगी. मगर कभी-कभी कोई सदस्य बीच कार्यकाल में इस्तीफा दे देते हैं. या किसी का निधन हो जाता है. अथवा किसी सदस्य को सदस्यता से बर्खास्त कर दिया जाता है. तब ऐसे में उन संबंधित सदस्यों की सीटों पर उनके शेष कार्यकाल के लिए अगला सदस्य चुना जाता है, उपचुनाव के माध्यम से. यही मूलभूत अंतर है, दोनों प्रक्रियाओं में.

चुनाव की प्रक्रिया आनुपातिक, और अनुपात इस तरह
राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 250 निर्धारित है. इनमें 12 सदस्य तो राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं. कला, साहित्य, संस्कृति जैसे विभिन्न क्षेत्रों से. बाकी रह गए 238, जो विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आते हैं. किस राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से राज्यसभा में कितने सदस्य आएंगे, यह वहां की जनसंख्या के आधार पर तय किया जाता है. उस हिसाब से समय-समय पर यह संख्या परिवर्तित होती रहती है. इसलिए अधिक महत्त्वपूर्ण ये है कि राज्यों में राज्यसभा सदस्यों का चुनाव कैसे होता है. तो, इसके लिए आनुपातिक चुनाव प्रणाली इस्तेमाल में लाई जाती है. यह अनुपात संबंधित राज्य की विधानसभा के सदस्यों की संख्या से निकाला जाता है. उसी से तय होता है कि जितनी सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी. सरल शब्दों में उत्तर प्रदेश के ताजा उदाहरण से समझ लेते हैं. वहां 403 सदस्यों वाली विधानसभा है. इनमें 401 सदस्य इस वक्त हैं. दो स्थान रिक्त हैं. यहां राज्यसभा की 11 सीटों के लिए चुनाव होना है. तो इस 401 की संख्या का 11 से भाग दे दीजिए. भागफल आ जाएगा 36.45. यह राज्यसभा की 1 सीट का मान हुआ. इस हिसाब से जिस दल के पास जितने विधायकों की संख्या होगी, उसे उतनी सीटें सहज भाव से मिल जाएंगी. यानी मान लीजिए किसी दल के पास विधानसभा में 364 विधायक हैं, तो 11 में 10 सीटें उसके खाते में आ जाएंगी. वैसे, इस हिसाब से अभी उत्तर प्रदेश की वास्तविक स्थिति ये है कि 11 में 7 सीटें सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को जा रही हैं. जबकि, 3 मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के पास. गणित के हिसाब से 1 सीट पर जोर-मशक्कत होगी.