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फायर डिपार्टमेंट के अधिकारी को 4 साल की जेल, फर्जी डिग्री पर 30 साल नौकरी कर हो चुका रिटायर

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मध्यप्रदेश की एक स्थानीय अदालत ने फर्जी डिग्री जमा कर करीब 30 साल तक गजटेड ऑफिसर के रूप में काम करने के लिए मध्य प्रदेश फायर डिपार्टमेंट के एक पूर्व मुख्य अधीक्षक को चार साल के कारावास की सजा सुनाई है.

अभियोजन पक्ष के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह सूचना दी है.

अधिकारी ने बताया कि एडिश्नल सेशन जज संजय गुप्ता ने गुरुवार को बी एस तोंगर (70) पर लगभग 12,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. तोंगर ने केवल 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. बता दें कि गजटेड ऑफिसर भारत में कार्यकारी, प्रबंधकीय या पर्यवेक्षण स्तर के लोक सेवक होते हैं. भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सजा सुनाए जाने के बाद टोंगर को सीधे अदालत से ही जेल भेज दिया गया था.

अधिकारी ने कहा कि पुलिस की एकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) ने अग्निशमन विभाग के निरीक्षक की शिकायत पर तोंगर के खिलाफ मामला दर्ज किया था. उन्होंने कहा कि टोंगर, जो शुरू में दिल्ली सरकार की एक बिजली आपूर्ति इकाई में लोअर डिवीजन क्लर्क (एलडीसी) के रूप में तैनात थे, मध्य प्रदेश के अग्निशमन विभाग में डेप्युटेशन पर आए थे.

अधिकारी ने ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि टोंगर ने दिल्ली सरकार के अपने पुराने सेवा रिकॉर्ड को मिटा दिया था और मध्य प्रदेश सरकार को नागपुर स्थित एक कॉलेज के नाम पर फायर इंजीनियरिंग में फर्जी डिग्री पेश की थी.

फर्जी डिग्री के आधार पर, अभियोजन अधिकारी ने कहा कि टोंगर खुद को इंदौर में अग्निशमन विभाग के मुख्य अधीक्षक के रूप में गजटेड ऑफिसर के पद पर तैनात करने में कामयाब रहे थे जबकि वह इस पद के लिए अयोग्य थे क्योंकि उन्होंने केवल 10वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की थी.

अधिकारी ने बताया कि टोंगर फर्जी डिग्री के आधार पर करीब 30 साल तक राज्य सरकार में काम करते रहे. अधिकारी के मुताबिक टोंगर 2013 में रिटायर हुए थे और उसी साल उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था. टोंगर के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए विशेष लोक अभियोजक अश्लेष शर्मा ने अदालत के समक्ष 30 गवाह पेश किए.