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Explainer : क्या जा सकती है राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता, क्या कहते हैं नियम !

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ब्रिटेन दौरे में राहुल गांधी ने भारतीय लोकतंत्र को लेकर जो कुछ कहा, उसके बाद देश में संसद से लेकर सड़क तक हंगामे की स्थिति है. सत्ताधारी बीजेपी ने कमर कस ली है कि अगर कांग्रेस नेता राहुल माफी नहीं मांगते तो उन्हें लोकसभा से निलंबित कर दिया जाए.

वो कौन सी ऐसी स्थिति होगी जिसमें राहुल का निलंबन किया जा सकता है, आइए जानते हैं. देखते हैं कि उसके लिए किन नियमों को हथियार बनाया जा सकता है.

बीजेपी ने इसके लिए लोकसभा स्पीकर से संपर्क साधा है. इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं. ये देख रही है कि वो कौन से प्रावधान हैं, जिसके तहत केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी को सस्पेंड किया जा सकता है. बीजेपी इसे लेकर काफी आक्रामक दीख रही है.

दरअसल बीजेपी इसके लिए स्पेशल कमेटी बनवाना चाहती है. ये कमेटी उसी तर्ज पर बनेगी जिस तरह सवाल के लिए नोट प्रकरण में वर्ष 2005 में एक स्पेशल कमेटी लोकसभा में गठित हुई थी. ये पवन कुमार बंसल की अगुवाई में बनाई गई थी. इस कमेटी ने पैसा लेकर संसद में सवाल पूछने वाले 10 लोकसभा सांसदों के खिलाफ जांच की और फिर उन्हें लोकसभा से निकाल दिया गया.

सवाल – क्या था वर्ष 2005 का सांसदों का नोट फॉर क्वेरीज स्कैंडल, जिसके तर्ज पर बीजेपी राहुल को लोकसभा से निकालना चाहती है?

– इसमें कोबरा पोस्ट ने एक स्टिंग आपरेशन के जरिए ये पर्दाफाश किया कि किस तरह कुछ पार्टियों के सांसद नोट लेकर संसद में सवाल पूछने के लिए तैयार हैं. ये मामला सामने आते ही हड़कंप मच गया. किरण बंसल की स्पेशल कोर्ट में इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हुआ. मामला सही पाया गया. इसमें 11 सांसदों का नाम आया. जिसमें 10 लोकसभा के थे और एक राज्यसभा का.

इसमें 06 बीजेपी के थे जबकि 03 बीएसपी के. इसके अलावा 01 आरजेडी और कांग्रेस से. ये थे वाईजी महाजन (बीजेपी), छत्रपाल लोढ़ा (बीजेपी), अन्ना साहेबा एमके पाटिल (बीजेपी), मनोज कुमार (आऱजेडी), चंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी), रामसेवक सिंह (कांग्रेस), नरेंद्र कुमार कुशवाहा (बीएसपी) प्रदीप गांधी (बीजेपी), सुरेश चंदेल (बीजेपी), लाल चंद्र कोल (बीएसपी) और राजा रामपाल (बीएसपी).

फिर इस पर स्पेशल कमेटी बनी, जिसने इन्हें लोकसभा और राज्यसभा से निकालने की सिफारिश की. फिर संसद ने 24 दिसंबर 2005 को इस पर वोटिंग की. ये अपने तरह की ऐतिहासिक वोटिंग थी, जो पहली बार संसद में हो रही थी. तब इन सभी सांसदों को निकाल दिया गया.तब बीजेपी ने इसका बहुत विरोध किया था और संसद को कंगारू कोर्ट कहा था.

सवाल – अगर इस मामले में राहुल गांधी के खिलाफ स्पेशल कमेटी बनी तो क्या होगा?

– अगर स्पेशल कमेटी बनी तो बीजेपी लोकसभा में बहुमत में है. ये कमेटी एक महीने में करीब अपनी रिपोर्ट दे देगी. जाहिर सी बात है कि लोकसभा में बीजेपी के बहुमत होने के कारण कमेटी में बीजेपी के सदस्य ज्यादा होंगे. वो अगर राहुल को लोकसभा से निलंबित करने की सिफारिश करते हैं और इस पर वोटिंग होती है तो मामला बीजेपी के पक्ष में जाएगा, यानि वो राहुल को निलंबित करने को लेकर जो चाहती है, वो हो जाएगा.

सवाल – बीजेपी इस मामले को क्यो गंभीर मान रही है?

– बीजेपी का कहना है कि ये मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि देशद्रोह की श्रेणी में आता है, कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि पार्टी इस पर सभी संभव विकल्प, कानून और तरीकों पर विचार कर रही है.वो मान रही है कि राहुल गांधी ने विदेश जाकर देश का अपमान किया है, ये गंभीर मामला है. उनकी भाषा वैसी ही है जो देश विरोधी लोगों की होती है.

सवाल – बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस पर स्पीकर को जो नोटिस दिया है, वो क्या है?

– नियम 223 के तहत लोकसभा में किसी सदस्य के खिलाफ सदस्यता खत्म करने के लिए प्रस्ताव लाने का मामला पेश किया जा सकता है. बीजेपी सांसद का मानना है कि राहुल ने विदेश में जो भाषण दिया है, ये नोटिस उसके लिए नियमानुसार सही है.

सवाल – वैसे नियम 223 क्या कहता है

– लोकसभा का नियम 223 कहता ये किसी सांसद के अधिकार कि व्याख्या करता है. इसके अनुसार को सदस्य अगर लोकसभा सदस्य के तौर पर अनैतिक और गलत आचरण करता है तो उसे अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाया जा सकता है. इसी नियम के तहत जांच के लिए स्पेशल कमेटी के गठन का भी प्रावधान है ताकि संसद और लोकतंत्र की गरिमा सुरक्षित रखी जा सके. लेकिन इस मामले पर कोई भी सवाल इस नियम के तहत या अविश्वास स्पीकर की अनुमति से ही कोई सदस्य पेश कर सकता है या इस बारे में बोल सकता है.

सवाल – क्या है संसद का अधिकार, जिसके तहत राहुल पर सांसदी की रक्षा होती है?

– भारतीय संविधान का आर्टिकल 105 इसकी व्याख्या करता है. इसमें खास अधिकार, छूट और इम्युनिटी की बात की गई है. ये कहता है कि सांसद कोई अपराध नहीं होते लिहाजा, वो अपने कार्यकाल के दौरान उनके किसी कमेंट और कार्य को अपराध में नहीं रखा जा सकता है, उन्हें इससे छूट दी जा सकती है.इसी के तहत सांसदों को संसद में बोलने की आजादी है. गिरफ्तारी से आजादी है और कोई भी अनजाना शख्स अगर उनके खिलाफ कुछ लिखता या बोलता है तो उसे ऐसा करने से रोक सकते हैं.

किसी भी सांसद को दंडित करने का अधिकार अधिकार भंग करने से संबंधित समीक्षा करने वाली कमेटी कर सकती है. जो चेतावनी और जेल तक हो सकती है हालांकि ये उसकी गंभीरता पर निर्भर करती है.

सवाल – क्या राहुल गांधी को लोकसभा से निकाला जा सकता है?

– अतीत में एक बार तब ऐसा हुआ जबकि 1976 में सुब्रमण्यम स्वामी ने ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा में भारत के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की थीं.