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यूक्रेन को समर्थन जारी रखने पर अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी क्यों बंटी हुई है?

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फ्लोरिडा के गवर्नर और राष्ट्रपति पद के लिए संभावित रिपब्लिकन उम्मीदवार रॉन डीसांटिस ने सोमवार को यूक्रेन के लिए जारी अमेरिकी समर्थन पर अपनी स्थिति विस्तार से जाहिर की.

उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के लिए राष्ट्रीय हित से जुड़े कई मुद्दे हैं- जैसे सीमाओं को सुरक्षित करना, सेना की तैयारी से जुड़ी किसी भी कमी को दूर करना, एनर्जी सिक्योरिटी के मामले में आत्मनिर्भर बनना और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की आर्थिक, सांस्कृतिक और सैन्य शक्ति का मुकाबला करना. लेकिन यूक्रेन और रूस के बीच क्षेत्रीय विवाद में और उलझना हमारे हिट से जुड़े मुद्दों में शामिल नहीं है.’

आगे अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए डीसांटिस ने बाइडेन प्रशासन पर यूक्रेन को ब्लैंक चेक देने का आरोप लगाया और कहा कि वाशिंगटन को परमाणु युद्ध शुरू होने के खतरे को देखते हुए कीव को लड़ाकू विमान और लंबी दूरी की मिसाइलें नहीं देनी चाहिए.

अमेरिकी कंजरवेटिव न्यूज सुपरस्टार टकर कार्लसन द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए डीसांटिस ने ये बातें कही. कार्लसन ने कई अन्य प्रमुख रिपब्लिकनों से भी ऐसे ही सवाल पूछे, जिनमें विशेष रूप से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प शामिल हैं.

यह ध्यान देने वाली बात है कि ट्रम्प यूक्रेन में अमेरिका की दखलअंदाजी का भी विरोध करते हैं. उन्होंने दावा किया कि बाइडेन प्रशासन दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के करीब ले जा रहा है और अमेरिका की तुलना में यूरोप को इस युद्ध के लिए अधिक भुगतान करना चाहिए क्योंकि यह अमेरिकियों की तुलना में यूरोपीय लोगों के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.

अपने खास अंदाज में ट्रम्प ने यह भी दावा किया कि ‘अगर मैं आपका राष्ट्रपति होता तो रूस निश्चित रूप से यूक्रेन पर हमला नहीं करता.’

नेताओं ने अपने अंदाज में दी प्रतिक्रिया

डीसांटिस के बयान के बाद उनकी ही पार्टी के नेताओं से तत्काल प्रतिक्रिया दी. कई सीनियर रिपब्लिकन नेताओं ने यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन पर अपनी स्थिति का सीधे तौर पर खंडन किया.

मिसाल के तौर पर दक्षिण कैरोलिना के सीनेटर लिंडसे ग्राहम पूर्व ब्रिटिश पीएम नेविल चेम्बरलेन के साथ डीसांटिस के रुख की तुलना करते दिखाई दिए. एडॉल्फ हिटलर को खुश करने के लिए चेम्बरलेन यूरोप को युद्ध से बचाने का व्यर्थ प्रयास किया था.

डीसांटिस के फ्लोरिडा राज्य से ही सीनेटर मार्को रूबियो ने यूक्रेन युद्ध के ‘क्षेत्रीय विवाद’ होने के गवर्नर के दावे पर अपनी असहमति जताई और एक रेडियो शो में कहा कि ‘यह इस मायने में क्षेत्रीय विवाद नहीं है बल्कि इससे कहीं अधिक होगा अगर संयुक्त राज्य अमेरिका ने फैसला किया कि वह कनाडा पर आक्रमण करना चाहता है या बहामास पर कब्जा करना चाहता है.’ उन्होंने कहा कि ‘महज इसलिए कि कोई कुछ दावा करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह उसी का है.’

इस मुद्दे पर टकर कार्लसन के सवालों का जवाब देते हुए कई लोगों ने बेहद अलग रुख अपनाया. दक्षिण कैरोलिना के पूर्व गवर्नर निक्की हेली और पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस दोनों ने यूक्रेन के लिए अपना मजबूत, अटूट समर्थन व्यक्त किया.

दरअसल 2024 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में संभावित रिपब्लिकन उम्मीदवार पेंस ने तो यहां तक कह दिया कि बाइडन प्रशासन यूक्रेन की मदद करने के संबंध में जितना कर सकता है उतना नहीं कर रहा है. कीव को कम से कम समय में अधिक उन्नत हथियार भेजने के लिए तैयार रिपब्लिकन पार्टी के कई अन्य कट्टर सदस्यों ने भी इस बात का समर्थन किया.

मनोरंजक साइड नोट के तौर पर डीसांटिस की बयान की पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा भी आलोचना की गई. ट्रम्प ने दावा किया कि फ्लोरिडा के गवर्नर सिर्फ वही कह रहे हैं जो वे पहले ही कह चुके हैं.

कुल मिलाकर, यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता पर डीसांटिस और यहां तक कि ट्रम्प के विचार रिपब्लिकन पार्टी के लिए अल्पमत में हैं. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व नाटो के लिए अमेरिका के नए सिरे से समर्थन और यूक्रेन की सहायता जारी रखने के समर्थन में है.

दरअसल साफ तौर पर किसी भी दावे का खंडन करते हुए कुछ वरिष्ठ रिपब्लिकन ने बयान दे दिया है कि रूढ़िवादी पार्टी में यूक्रेन और नाटो के लिए समर्थन कम हो रहा है.

हालांकि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसके समर्थन में एकजुट दिखाई देता है, लेकिन यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में रिपब्लिकन नेताओं की बढ़ती संख्या के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है.

मार्जोरी टेलर ग्रीन, स्कॉट पेरी, पॉल गोसर, मैट गेट्ज़ जैसे कई नेताओं का बहुत हद तक रिपब्लिकन पार्टी में दबदबा है. इन नेताओं ने हर कदम पर यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता का विरोध किया है, समर्थन पैकेज देने के खिलाफ मतदान किया है और जो सहायता भेजी जा रही है उसका ऑडिट करने के लिए कानून लाने का प्रयास किया है.

इनमें से कई रूढ़िवादी नेताओं ने क्रेमलिन द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बहस करना शुरू कर दिया है. यूक्रेन के लोगों की तुलना ‘नव-नाजियों’ से करते हुए इन नेताओं ने दावा किया कि नाटो और यूरोप युद्ध के लिए दोषी हैं. वे ज़ेलेंस्की के मनोबल, चरित्र के अलावा स्वतंत्र राज्य के रूप में यूक्रेन के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं.

पुतिन के अनुकूल दिखने वाले इन रिपब्लिकन का समर्थन करना कंजर्वेटिव मीडिया इकोसिस्टम का हिस्सा है जो यूक्रेन के ‘मेनस्ट्रीम’ नैरेटिव का विरोध करने के लिए उतावला लगता है. हालांकि यूक्रेन अपने अस्तित्व के लिए हमलावर रूसी सेना के खिलाफ न्यायोचित युद्ध लड़ रहा है.

पुतिन के समर्थक में नैरेटिव गढ़ने वाले मीडिया हस्तियों में सबसे प्रमुख टकर कार्लसन खुद हैं. उनकी आलोचना नफरत फैलाने वाले टीवी होस्ट के तौर पर होती है. रूस के प्रति अपने समर्थन और यूक्रेन के विरोध में वे इतने उत्साही रहे हैं कि पिछले साल क्रेमलिन मेमो में कथित तौर पर रूसी मीडिया को कहा गया था कि फॉक्स न्यूज पर कार्लसन के टॉक शो से क्लिप का उपयोग किया जाए. हालांकि यह क्रेमलिन मेमो लीक हो गया था.

अमेरिका की कंजर्वेटिव पॉलिटिक्स में तेजी से यूक्रेन के विरोधी को सहायता देने की स्थिति कोई खास नहीं दिख रही है. इस बदलाव का अहम संकेत सीनियर रिपब्लिकन और वर्तमान में हाउस के स्पीकर केविन मैकार्थी द्वारा लिया गया रुख है. उन्होंने कई बार कहा है कि वे यूक्रेन के प्रति ‘ब्लैंक चेक’ वाली बात का समर्थन नहीं करते हैं.

हालांकि मैक्कार्थी अपने कॉकस के अधिक मुखर सदस्यों की तरह स्पष्ट नहीं हैं. देखने वाली बात है कि यूक्रेन की रक्षा पर अमेरिकी धन खर्च किया जा रहा है, लेकिन उन्होंने कीव जाने के ज़ेलेंस्की के निमंत्रण को सार्वजनिक तौर पर अस्वीकार कर दिया.

इतना सब कहने के बावजूद सवाल वही है कि रूढ़िवादी राजनीतिक और मीडिया हस्तियों के बीच यूक्रेन के खिलाफ बढ़ते दबाव का क्या कारण हैं?

डोनाल्ड ट्रम्प सहित कुछ लोगों के लिए यूक्रेन का विरोध और उसे सहायता नहीं देने वाला रुख अलगाववाद की सदियों पुरानी नीति का हिस्सा है, जो नए ज़माने में नए रूप में दिखाई देता है. यह तथाकथित ‘अमेरिका फर्स्ट’ वाला नजरिया है जो सोचता है कि अमेरिका के लिए आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका बाहरी दुनिया के लिए अपने सभी दायित्वों और संबंधों को कम करना और खास तौर से, ‘इसे अपने हाल पर छोड़ना है’.

टकर कार्लसन जैसे अन्य लोगों के द्वारा यूक्रेन का विरोध जानबूझकर किया गया लगता हैं. उनके बयानों में व्यक्तिगत विश्वास पर कम लेकिन अपने शो के दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए सबसे अधिक आक्रोश पैदा करने वाला पहलू दिखाई पड़ता है. कार्लसन के पास संदिग्ध तौर पर कांस्पीरेसी-स्टाइल वाले सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का इतिहास है और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से लेकर व्लादिमीर पुतिन तक हर चीज का बचाव करने की प्रवृत्ति है.

दरअसल फॉक्स न्यूज के वकीलों ने भी माना है कि कार्लसन का शो वास्तविक तथ्यों पर आधारित नहीं है, बल्कि ‘अतिशयोक्तिपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना बयानों’ में उलझा हुआ है.

इसके बाद रॉन डीसांटिस जैसे लोग हैं. हालांकि फ्लोरिडा के गवर्नर यह दिखाना चाहते हैं कि यूक्रेन में उनके रुख को उनके अपने मूल्यों के आधार पर ही विरोध माना जाए. हाल ही में सीएनएन ने डीसांटिस के 2015 के ऑडियो क्लिप का खुलासा किया है, जिसमें व्हाइट हाउस से यूक्रेन और पड़ोसी नाटो देशों को हथियार और गोला-बारूद भेजने का आग्रह किया गया था. इसमें कहा गया था कि ‘वे अपनी लड़ाई अच्छी तरह लड़ना चाहते हैं. वे हमें उनके लिए लड़ने के लिए नहीं कह रहे हैं.

अमेरिकी रिपब्लिकन मतदाताओं की स्थिति

नेताओं और मीडिया के आंकड़ों को दरकिनार कर दिया जाए तो सबसे बड़ा सवाल उठता है यूक्रेन के लिए अमेरिका के समर्थन को औसत अमेरिकी कंजर्वेटिव कैसे देखता है? प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, करीब 40 फीसदी रिपब्लिकन और रिपब्लिकन-झुकाव वाले मतदाता अब कहने लगे हैं कि अमेरिका यूक्रेन को बहुत अधिक सहायता दे रहा है. पिछले साल मार्च में इसी तरह के सर्वे के आंकड़ों से यह नौ फीसदी अधिक है.

अगर इन सभी बातों पर गौर किया जाए तो सर्वेक्षण में कहा गया है कि सभी अमेरिकी मतदाताओं में से 26 फीसदी अब इस बात से सहमत हैं कि अमेरिका यूक्रेन को बहुत अधिक सहायता दे रहा है.

शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स द्वारा किए गए एक अन्य सर्वेक्षण से पता चलता है कि ज्यादातर अमेरिकी मतदाता इस समय यूक्रेन को अमेरिकी सहायता जारी रखने का समर्थन करते हैं, लेकिन लोगों को ‘जब लगता है कि युद्ध खींच रहा है’ तब कीव का समर्थन करने के वाशिंगटन के वादे पर विभाजन बढ़ जाता है.

इसके मुताबिक सर्वेक्षण में शामिल 47 फीसदी लोग अब अमेरिका से यूक्रेन को जल्द से जल्द शांति के लिए मजबूर करने की मांग कर रहे हैं. यह पिछले जुलाई के मुकाबले 38 फीसदी ज्यादा है.

कुल मिलाकर कुछ अमेरिकी, विशेष रूप से कंजर्वेटिव यानी रूढ़िवादी सोच रखने वाले अमेरिकी मतदाता मानते हैं कि अमेरिकी मीडिया और रिपब्लिकन पार्टी के कुछ लोगों द्वारा रूस और यूक्रेन पर भड़काऊ बयानबाजी की जा रही है. कई अमेरिकी साफ तौर पर यूक्रेन को सहायता देने के खिलाफ नहीं हैं.

समस्या यह है कि ये मतदाता यूक्रेन समर्थक भी नहीं हैं. अगले साल अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में यदि सभी नहीं तो ज्यादातर मतदाता बढ़ती महंगाई, हाउसिंग की समस्या, बढ़ते अमेरिकी ऋण, इमीग्रेशन से जुड़ी समस्या, गर्भपात के अधिकार जैसे कई अहम मुद्दों पर फोकस करना पसंद करेंगे.

इसका मतलब यह है कि इनमें से कई मतदाता यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन जैसे विदेश नीति के मुद्दों पर बहुत अधिक पशोपेश में होंगे. यदि अन्य मुद्दों को एक तरफ रख दिया जाए तो इस बात की अधिक संभावना है कि ज्यादातर अमेरिकी मतदाता यूक्रेन में युद्ध का समर्थन जारी रखने के पक्ष में होंगे.

हालांकि राजनेता वही करते हैं जो उनके फायदे में हो. यदि वे यूक्रेन में बढ़ते अमेरिकी खर्च और घरेलू समस्याओं के बीच संबंध बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो कई अमेरिकी सहायता भेजने के विचार के विरोध में होंगे. यदि राजनेता इस मुद्दे को ‘हमारे और उनके’ के तौर पर पेश कर पाते हैं तो अगले साल अमेरिका में चुनावी माहौल एकदम अलग होगा.

यही कारण है कि ट्रम्प और डीसेंटिस द्वारा उठाए गए मुद्दे यूक्रेन के लिए इतनी बड़ी समस्या खड़ी करने वाले लगते हैं. यदि युद्ध अगले साल तक जारी रहता है, तो ट्रम्प और डीसेंटिस दोनों अपने चुनावी अभियान का समर्थन करने के लिए इस अहम नीतिगत मुद्दे को उठाएंगे. कुल मिलाकर यह तय है कि राजनेता यूक्रेन को अमेरिकी सहायता जारी रखने का विरोध करते हुए चुनाव में इसे प्रमुख मुद्दा बनाएंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार के तौर पर ये दोनों काफी आगे चल रहे हैं. ऐसे में इस बात की संभावना है कि उनकी स्थिति करीब-करीब एक जैसी होगी और रिपब्लिकन उम्मीदवार की रेस में कई नेता यूक्रेन को अमेरिकी सहायता देने को लेकर अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं.

इसका मतलब यह है कि यूक्रेन फ़िलहाल अमेरिकी सहायता पर भरोसा कर सकता है, लेकिन युद्ध जारी रहने के कारण इस समर्थन का भविष्य कई सवालों के घेरे में है.