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सेंटर ऑफ सोशिओ-लीगल रिसर्च एंड सर्विसेस का आईटीएम यूनिवर्सिटी में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने किया भव्य शुभारंभ

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रायपुर (विश्व परिवार)। नवा रायपुर स्थित आईटीएम यूनिवर्सिटी में सेंटर ऑफ सोशिओ-लीगल रिसर्च एंड सर्विसेस की स्थापना के साथ सामाजिक न्याय, व्यावहारिक शिक्षा और न्यायिक सेवाओं में प्रदेश के युवाओं का करियर बनाने सतत मार्गदर्शन की दिशा में एक नए अध्याय की शुरुआत हुई।  इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिलेश कुमार यादव तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने स्कूल ऑफ़ लॉ द्वारा आयोजित उद्घाटन समारोह में फीता काटकर सेंटर का शुभारंभ किया। सुश्री आकांक्षा खलखो न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय श्रेणी एवं सुश्री सौम्या राय न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय श्रेणी सहित वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. शुक्ला, रणजीत मिस्त्री, राजेश वर्मा, विधि सलाहकार आशुतोष तिवारी, रुपेश सावरकर के विशेष आतिथ्य में यहाँ सेंटर ऑफ़ सोशिओ-लीगल रिसर्च एंड सर्विसेस का उद्घाटन मौके पर लॉ स्टूडेंट्स बेहद उत्साहित नजर आए। इस उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आईटीएम विश्वविद्यालय  के कुलपति प्रोफेसर  डॉ. सुमेर सिंह एवं कुलसचिव  सौरव चटर्जी ने न्यायाधीश अतिथियों का स्वागत किया। कुलपति प्रोफेसर डॉ. सुमेर सिंह ने इस सेंटर की स्थापना के अभिनव पहल के लिए स्कूल ऑफ़ लॉ की सराहना करते हुए इस नए सेंटर की स्थापना से आसपास के लोगों को मिलने वाले सामाजिक न्याय और यथोचित मार्गदर्शन को लोकहित का महत्वपूर्ण आधार बताया। जनसमुदाय में मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल पर गहरी चिंता जताते हुए उन्होंने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बात की।  

स्कूल ऑफ़ लॉ के स्टूडेंट्स को सम्बोधित करते हुए युवा न्यायाधीश सौम्या राय न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय श्रेणी ने न्यायिक सेवाओं में करियर बनाने के लिए मोटिवेट किया और उन्हें हरसंभव गाइडेंस देने की बात कही।  युवा न्यायाधीश आकांक्षा खलखो न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय श्रेणी ने लॉ से संबंधित टर्मिनोलॉजी को बड़ी सहजता से समझाया। इस दौरान दोनों युवा न्यायाधीशों ने लॉ के क्षेत्र में सफलता हासिल  करने कुछ महत्वपूर्ण गुरुमंत्र दिए। आईटीएम विवि द्वारा पड़ोसी जनजातीय बाहुल्य गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक के गोद लिए तीन गांवों में उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय के लिए उपलब्थियों पूर्ण कार्यों की प्रशंसा करते हुए अतिथियों ने डीएलएसए के माध्यम से हर संभव सहयोग और मार्गदर्शन के लिए आश्वस्त किया। कार्यक्रम में लीगल एड क्लीनिक के माध्यम से विभिन्न शोध और सामाजिक न्याय के लिए शिक्षकों और लॉ स्टूडेंट्स के संयुक्त भूमिका की भी प्रमुखता से चर्चा हुई। ज्ञात हो कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया, कानूनी शिक्षा के नियम, 2008, भाग – IV, अनुसूची – III, नियम – 11 में कानूनी शिक्षा के प्रत्येक केंद्र द्वारा कानूनी सहायता केंद्र की स्थापना को अनिवार्य करता है। लीगल एड क्लीनिक (विधिक सहायता क्लिनिक) का पर्यवेक्षण संस्थान के एक वरिष्ठ संकाय सदस्य द्वारा किया जाता है जिसमें छात्र शामिल होते हैं। क्लिनिक को कानूनी सहायता प्राधिकरणों के सहयोग से कार्य करना होता है। मंच संचालन लॉ स्टूडेंट्स साक्षी एवं वंशिका ने किया। अंत में स्कूल ऑफ़ लॉ के हेड प्रो. जेलिस सुभान ने आभार प्रदर्शन करते हुए चांसलर डॉ. पी वी रमना, प्रो-चांसलर नितिन पुत्चा, डायरेक्टर जनरल लक्ष्मी मूर्ति के प्रति बृहद मार्गदर्शन के लिए साधुवाद दिया।