Home धर्म - ज्योतिष पहली बार विदुषियों द्वारा दिए गए धार्मिक संस्कार

पहली बार विदुषियों द्वारा दिए गए धार्मिक संस्कार

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11 दिवसीय श्रमण संस्कृति संस्थान शिक्षण शिविर का समापन एवं सम्मान समारोह रविवार को भट्टारक जी की नसियां में 50 से अधिक जैन मंदिरों में लगे शिविर

जयपुर (विश्व परिवार)। श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान के अन्तर्गत संचालित संत सुधासागर बालिका महाविद्यालय एवं श्री दिगम्बर जैन महिला महासमिति राजस्थान अंचल एवं संयुक्त महिला संभाग के तत्वावधान में  संस्थान के 26 वर्षों की संपूर्ति के अवसर पर  आयोजित 11 दिवसीय श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविर का समापन एवं सम्मान समारोह रविवार,28 मई को होगा । मुख्य संयोजक उत्तम चन्द पाटनी एवं शीला डोड्या  ने  बताया कि भट्टारक जी की नसियां के तोतूका सभागार में रविवार को सायंकाल 7.00 बजे से आयोजित होने वाले इस समारोह में व्रति श्राविका शिरोमणि सुशीला पाटनी,शांता पाटनी,तारिका पाटनी (आर के मार्बल) किशनगढ़, समाजसेविका कांता बज,शिप्रा जैन,कांता सोगानी,महताब देवी मुशरफ,आशा लुहाड़िया,सुमन सोगानी, संतोष पाटनी गौरवमयी अतिथि होंगे । संत सुधासागर बालिका महाविद्यालय एवं छात्रावास की अधिष्ठात्री शीला डोड्या एवं निदेशिका डॉ वन्दना जैन ने बताया कि जिनवाणी पुरस्कार डॉ रवि लता जैन की ओर से दिए जाएंगे।महिला महासमिति राजस्थान अंचल की शालिनी बाकलीवाल एवं विनिता बोहरा ने बताया कि पहली बार इन शिक्षण शिविरों में संत सुधासागर बालिका महाविद्यालय की विदुषियों द्वारा बच्चों, युवाओं,महिलाओं एवं पुरुषों सहित हजारों श्रावकों को अध्ययन एवं ज्ञान के माध्यम से संस्कारित किया गया।

जयपुर शहर के 50 मंदिरों सहित पूरे प्रदेश के विभिन्न शहरों के दिगम्बर जैन मंदिरों में आयोजित इन शिविरों के माध्यम से जिन धर्म की प्रभावना की गई। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के आशीर्वाद एवं मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज की प्रेरणा से आयोजित इन शिविरों के माध्यम से धर्म का प्रचार प्रसार किया गया। अध्यक्षा रेणु राणा एवं उपाध्यक्षा नीना पहाड़ियां  ने बताया कि संत सुधासागर बालिका महाविद्यालय लौकिक एवं धार्मिक प्रशिक्षण युक्त सघन शिक्षा द्वारा आर्षमार्गी आगमनिष्ठ विदुषियों को तैयार करने वाली विश्व की एक मात्र संस्था है। प्रचार संयोजक विनोद जैन कोटखावदा  ने  बताया कि इन शिविरों में जैन धर्म शिक्षा भाग प्रथम एवं द्वितीय,छहढाला, द्रव्य संग्रह,इष्टोपदेश, तत्त्वार्थसूत्र, भक्तामर स्तोत्र, रत्नकरण्डक श्रावकाचार व अन्य ग्रन्थों का अध्ययन करवाया गया । श्री जैन ने बताया कि प्रत्येक मंदिर से प्रत्येक विषय में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले श्रावकों की पुनः परीक्षा ली गई, जिसमें प्रथम आने वाले शिक्षार्थी को पण्डित रतन लाल बैनाडा की स्मृति में रत्नाकर पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

इन शिविरों में किताबी ज्ञान के अलावा खेल खेल में जीवनोपयोगी एवं ज्ञानवर्धक जानकारी दी गई। जैन धर्म के सिद्धांत त्याग एवं संयम की भावना अनुसार श्रावकों को प्रतिदिन एक नियम एवं त्याग दिलाया गया । शिविर में अल्पाहार में जमीकंद एवं अभक्ष्य वस्तुओं तथा रात्रि में अन्न की सामग्री वितरित नहीं की गई । शिविरार्थियों को उत्साह वर्धन हेतु प्रतिदिन प्रभावना वितरित की गई । श्री दिगम्बर जैन महासमिति महिला अंचल द्वारा शिविर जयपुर के 50 जैन मंदिरों सहित किशनगढ़, अजमेर,दूदू, ब्यावर, नसीराबाद, कुचामन,सांभर, फुलेरा, केकड़ी, भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, सवाईमाधोपुर,बूंदी,आवां, चांदखेड़ी, जोधपुर आदि स्थानों पर आयोजित किए गए । श्री दिगम्बर जैन महिला महासमिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष शीला डोड्या ने बताया कि शिविर के लिए मंजू जैन,नीता जैन,कांता जैन,नीना गदिया, तारामणि जैन,आशा अग्रवाल, अंजना जैन,मैना जैन, रचना बाकलीवाल,किरण जैन,चंदा सेठी ने संयोजक  के रूप में अपनी सेवाएं दी।