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धन नष्ट हो जाएगा, दान कभी नष्ट नहीं होता – भाव लिंगी संत आचार्यश्री विमर्श सागर जी महा मुनिराज

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जतारा – मनुष्य के जीवन में जो गुण प्रकट होते हैं वे कहीं बाहर से नहीं आते, वे सभी गुण जीव के आत्मा से, अन्दर से ही प्रकट होते हैं। बन्धुओ! ध्यान रखना गुण, जीव के आत्मा से ही प्रकट होते है इसीलिए गुण शाश्वत होते हैं। जो पदार्थ बाहर से आकर संयोग को प्राप्त हुआ है वह कभी शाश्वत नहीं रह सकता । क्षमा, विनय, ज्ञान, आनन्द आदि गुण आत्मा से ही प्रकट होते हैं जबकि क्रोध, अभिमान, छल-कपट, लोभासक्ति आदि दुर्गुण कभी शाश्वत नहीं रहते क्योंकि ये सब बाहर में किसी निमित्त के संयोग से उत्पन्न होते हैं और निज आत्म स्वभाव का आश्रय करने से वे सभी दुर्गुण नष्ट हो जाते हैं। भो धर्म रसायन का पान करने वाले भव्यात्माओं ! आज आपको जो भी वैभव, धन- संपदा, लक्ष्मी प्राप्त हुआ है, ध्यान रखना ये सभी आपके साथ हमेशा रहने वाले नहीं है। अपनी धन-लक्ष्मी को आप जितना भी सहेज कर संभालकर, तिजोरी में बंद करके रखोगे तो निश्चित ही आपकी संपदा, सब नष्ट हो जाएगी। आप अपनी सम्पदा का न तो उपयोग कर पायेंगे, न ही उपभोग कर पायेंगे। बन्धुओ ! पुण्य से प्राप्त  लक्ष्मी का उदार हृदय से सदुपयोग करो। अपने धन का उपयोग जिन-मंदिर निर्माण में, जीर्णोद्वार में, शास्त्र प्रकाशन में, तीर्थ यात्रा में, चतुर्विध संघ की चर्या में, परोपकार के कार्यों में, पंचकल्याणक प्रतिष्ठा आदि अनुष्ठान में, जिनेन्द्र भगवान की महा-आराधना में, आदि धार्मिक अनुष्ठान में अपने धन का सदुपयोग करो। जिस प्रकार, उत्तम भूमि में बोया गया बीज उत्तम फल को देने वाला होता है उसी प्रकार, धर्म के इन उत्कृष्ट, श्रेष्ठ स्थानों पर किया गया का उपयोग अनंतगुना होकर फलता है। लक्ष्मी बिजली की चमक के समान चंचला होती है। समय रहते इसका सदुपयोग नहीं किया तो यह अपने समय आने पर विदाई ले लेगी।धन की सर्वोत्तम गति है-दान,पश्चात् उसका भोग धन की मध्यम गति है। आपने अपने धन को दान नहीं दिया उसका भोग भी नहीं दिया तो अंत में नाश हो जाना ही धन की अंतिम गति है। बड़े-बड़े पुण्यशाली चक्रवर्ती आदि महापुरुषों का वैभव भी स्थाई नहीं रहा तब सामान्य पुरुष की सम्पति कहाँ स्थिर रह सकती है। अत: मानव का सद-विवेक यही है कि अपने धन का उदार हृदय से सदुपयोग किया जाए । उक्त उद्गार परम पूज्य भाव लिंगी संत आचार्य विमर्श सागर जी महाराज ने धर्म सभा के बीच व्यक्त किए  प्रवचन पूर्व कुमारी मौली जैन गाजियाबाद द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया ।

भारतीय जैन संगठन तहसील अध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने बताया कि भक्तामर महामंडल विधान के माध्यम से पुण्यार्जन करने का सौभाग्य श्रीमती मीना-संतोष कुमार,श्री मति मिनी- लवलेश, श्री मति मुनमुन-सत्यम जैन समस्त टानगा परिवार जतारा को प्राप्त हुआ ।विधान उपरांत समाज के प्रतिष्ठित वयोवृद्ध दादा चिंतामन जैन देवराहा बालों की शोक सभा का आयोजन किया गया ।चिंतामन जी रमेश चंद,सुरेश चंद्र, ज्ञानचंद,प्रकाश रोशन के पूज्य पिताजी थे । आप धर्म प्रिय,दान प्रिय, उदार मना,सहज,सरल व्यक्तित्व के धनी थे। 31 मई 2023 को,94 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली । सभा में महेंद्र टांनगा,सुभाष सिंघई,पवन मोदी, एडवोकेट प्रकाश जैन, सुनील बंसल,विजय सगरवारा, सहित बड़ी संख्या में साधर्मी उपस्थित रहे ।सभा का संचालन जैन समाज उपाध्यक्ष अशोक कुमार जैन ने किया ।