नई दिल्ली – गौ हत्या बंद करो गौ वंश बचाओ का नारा दैने बाली केंद्र सरकार जिंदा गौ वंश को विदेश भेजने का कानूनी जामा पहना रही है,यह घोर आश्चर्य का विषय है क्या इसीलिये हमने आपको भारत की सत्ता सोंपी थी कि जिन पशुओं की भारत में पूजा जाता है,उनका ताजा ताजा मांस विदेशियों को जीवित पशुधन भेजकर परोस सको यह बात कोई और नहीं भगवान आदिनाथ का चिन्ह और शिव का नंदी और कृष्ण का गौ वंश आपसे पूंछ रहा है? संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य निर्यापक मुनि श्री सुधासागरजी एवं मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों के माध्यम से लाईव प्रसारण के दौरान पूंछा?
दयोदय महासंघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि संयुक्त सचिव मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय,कृषि भवन,नई दिल्ली के कार्यालय द्वारा ज्ञापन दिनांक 07.06.23 पशुधन आयात और निर्यात विधेयक, 2023 का (ड्राफ्ट) तैयार कर अधिसूचना जारी की गयी है उस अनुसार प्रस्तावित बिल में आश्चर्यजनक रूप से मवेशियों और जानवरों को कमोडिटी के रूप में परिभाषित किया गया है तथा उनको लाइव स्टॉक एक्सपोर्ट करने को कानूनी जामा पहनाना चाहता है, जिंदा पशु-पक्षियों एवं मवेशियों को, हेरा-फेरी कर, उनके एक्सपोर्ट को इस तरह से पुश करना, संविधान के प्रावधानों एवं भावना के खिलाफ है।वर्तमान में दुनिया भर में भी जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट की प्रथा की आलोचना कर, जिंदा पशुओं के एक्सपोर्ट को बंद करने की मांग की जा रही है, वंही भगवान महावीर और भगवान राम के इस देश मे पहले ही मांस निर्यात के चलते, पशु-पक्षीओं को सरकार और उसकी मशीनरी की घोर उपेक्षा एवं उदासीनता का शिकार है। सरकारी स्तर पर कहीं पर तो उनके शोषण को रोकने की कोई सीमा रेखा नहीं है,वल्कि वेबसाइट में दी गयी जानकारी के अनुसार मंत्रालय का क्षेत्राधिकार केवल पशुओं के आयात से संबंधित मामलों तक ही सीमित है और निर्यात मामला डीजीएफटी, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए उपरोक्त प्रस्तावित विधेयक में लाया गया निर्यात का मसला, आपके मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में नहीं आने के कारण, संपूर्ण विधेयक की कानूनी वैधता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े करता है, समस्त हितधारकों की जागरूकता के लिए इस प्रस्तावित विधेयक को प्रिंट मीडिया के माध्यम से उचित प्रचार दिया जाना चाहिए था, जो कि आपने नहीं दिया। इसके साथ ही हितधारकों द्वारा अपने सुझाव और टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए भी सामान्यतः 60 दिनों का समय दिया जाता है, पर आपने इसके लिये केवल 10 दिनों का समय दिया जो कि नाकाफी है। इस तरह के सामान्य मानदंडों को दरकिनार करने से ऐसा प्रतीत होता है कि शायद बाहरी निहित स्वार्थ के प्रभाव में, इस विधेयक को जल्दबाजी में पास कराने की सरकार की मंशा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत की समस्त जैन समाज एवं आचार्य गुरूदेव श्री विद्यासागर गौ संवर्धन केंद्र दयोदय महासंघ के राष्ट्रीयअध्यक्ष प्रेमचंद जैन प्रेमी कटनी एवं महामंत्री राकेश जैन अशोकनगर ने भारत सरकार स अनुरोध करते हुये निवेदन किया है कि प्रस्तावित विधेयक को तुरंत रद्द कर नया विधेयक लेकर आयें जिसका दायरा केवल पशु-पक्षियों के आयात (Import) के मसले तक ही सीमित हो, जो कि आपके मंत्रालय के क्षेत्र में आता है । यदि उपरोक्त विधेयक को रद्द नहीं किया गया तो वर्तमान की सरकार को इस महापाप का भागीदार बनना होगा और न चाहते हुये भी भारत की जैन समाज को आंदोलन करना होगा।