Home धर्म - ज्योतिष केश लोंच, आहार और विहार में कभी पराधीन नहीं होना चाहिए-मुनि श्री...

केश लोंच, आहार और विहार में कभी पराधीन नहीं होना चाहिए-मुनि श्री अजितसागर

0

सागर – आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का कहना है कि साधुओं को तीन चीजों से पराधीन नहीं होना चाहिए केश लोन्च करते समय अपने हाथों से काम करना चाहिए दूसरों की अपेक्षा से नहीं, केस लोन्च अपने हाथ से ही करना चाहिए यदि दूसरों के भरोसे बैठे हैं तो पराधीन हो जाओगे यह बात मुनि श्री अजित सागर महाराज ने मुख्य माटी महाकाव्य के स्वाध्याय में कहीं । मुनि श्री ने कहा हमेशा कार्य करने के पहले महापुरुषों को स्मरण करना चाहिए पंच परमेष्ठी भगवान के चरणों में नमन कर कार्य शुरू करें मुनि श्री ने कहा दया नहीं होगी जहां क्रूरता होगी, दया वहां हो ही नहीं सकती यदि किसी कष्ट से पीड़ित व्यक्ति के पास हम जाकर यह कहें आपको बहुत दर्द हो रहा होगा यानी वह पीड़ा को उकसा रहा है जबकि हमेशा यह कहना चाहिए दो-चार दिन में ठीक हो जाएगा लोहा तलाशने पर ही कीमती होता है और यदि तरासा नहीं जाता है तो उसकी कोई कीमत नहीं होती उन्होंने कहा आचार्य श्री कहते हैं किस डांट में शिष्य का उपकार छुपा होता है मूल गुण पराश्रित नहीं होते हैं बे शाश्रित होते हैं आहार बिहार मैं कभी पराधीन नहीं हो सकते हैं और जो होते हैं बे साधु कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। केश लोन्च में साधु के संयम की और बैरागय की परीक्षा होती है संघर्ष से कभी डरो मत खुद करो केश लोंच, आचार्य श्री  मन से बूढ़े नहीं है उनकी उत्कृष्ट चर्या है केश लोन्च स्वयं करते हैं एक बार बिहार के दौरान 1998 में आचार्य श्री ने कहा कि आप लोग मुझे बूढ़ा समझते हैं लेकिन मैं अभी बूढा नहीं हूं और हम युवा मुनिराजो के साथ बराबरी से बिहार करते हुए चल रहे थे जो जवानों के बीच में रहता है वह बूढ़ा नहीं होता यह आचार्य श्री स्वयं कहते हैं मुनिश्री ने कहा मन हमारा अच्छा होना चाहिए सोचने वाला मार्ग पर नहीं चल सकता और मार्ग पर चलने वाला कभी सोचता नहीं है उत्साह बढ़ाना और साहस देना ज्ञानी का कार्य होता है

मुनि श्री ने कहा भगवान की वाणी पर हमेशा भरोसा करना चाहिए पहले के जमाने में नारी घुंघट मैं रहती थी लेकिन आज घूंघट नहीं बचा है ना तो मां का आंचल बचा है और ना ही घूंघट, बच्चों को पहले मां के आंचल में सुलाते थे लाड करते थे लेकिन आज उनके स्थान पर दासी या आया बच्चों को पाल रहे हैं उनकी मां के पास समय नहीं है आज यदि महिलाओं से घूंघट डालने की बात की जाए तो वह कहती हैं मैं मॉडर्न जमाने की बहू लेकिन यदि कहीं बहू सर पर घूंघट लेकर जा रही हो तुम लोग तुरंत कह देते हैं यह पुराने जमाने की है घूंघट की परंपरा सदियों से चली आ रही है भारत की प्राचीन परिपाटी है घूंघट पर महिलाओं को सम्मान मिलता है हीरो और रत्नों को छुपा कर रखोगे तो कीमत बढ़ती है बाहर निकालो तो कीमत और चमक कम होगी आज लोकतंत्र में महिलाओं को समान अधिकार की बातें कहीं जा रही हैं आज भारत में प्रति मिनट 2-3 महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं आचार्य श्री जी कहते हैं पढ़े-लिखे कम संस्कारित ज्यादा बनो लेकिन आजकल पढ़े-लिखे आप लोग ज्यादा है और सांस्कृतिक कम है।