Home धर्म - ज्योतिष आलस छोड़ो, उत्साह पूर्वक कार्य करो – आचार्य विशुद्ध सागर

आलस छोड़ो, उत्साह पूर्वक कार्य करो – आचार्य विशुद्ध सागर

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  • रक्षा बंधन पर लड़किया को दी सीख

बड़ौत – दिगम्बर जैनाचार्य श्री विशुद्धसागर जी गुरुदेव ने ऋषभ सभागार मे धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि-जीवन में कभी कोई गलती मत करो और यदि गलती हो जाए, तो गल्ती-पर-गल्ती मत करो, गल्ती को सुधारने का प्रयास करो आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने रक्षाबंधन के अवसर पर युवाओ को यह सीख दी कि जब तुम्हारी बहन तुम्हारे हाथ में राखी बांधे तो पहले उससे संकल्प लो, कि वह जीवन में अपने परिवार का अपने कुल का नाम कलंकित नहीं करेगी। केवल ऊपरी दिखावे को देखकर अन्य जाति में विवाह नहीं करेगी। आजकल लव जिहाद के नाम से नाम पर लड़कियों का शोषण हो रहा है, उनकी हत्याएं हो रही हैं। इसलिए लड़कियों को बहुत ही सतर्क रहने की आवश्यकता है उन्हें चाहिए कि पहले अपने पिता के कुल की शान को बढ़ाएं ।पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज का नाम रोशन करें, तभी तुम्हारा रक्षा बंधन मनाना सार्थक है । आचार्य श्री ने कहा कि प्रमाद, आलस ही हमारा शत्रु है। आलसी को सफलता नहीं मिलती है। उत्साह, उमंग महान शक्ति है। प्रशंसा भी व्यक्ति में उत्साह का संचार करती है। सत्कार एवं पुरुषकार जीवन में नवीन शक्ति प्रवाहमान करता है। वाहन के ट्यूब में हवा भरने पर वह हजारों कि.मी. वाहन को ले जाती है। प्रत्येक मानव को श्रमपूर्वक प्रशंसनीय बनने का प्रयास करना चाहिए । मन संतुष्ट करने के लिए मानव विभिन्न प्रकार के प्रपंच करता है, इन्द्रिय भोग भोगता है, पाँच पाप करता है, यहाँ तक की युद्ध भी करने को तैयार हो जाता है। यदि वही मानव भोगों से विरक्त होकर, संसार और शरीर से राग छोड़कर, वैराग्य को प्राप्त करले तो, आत्म-संतोष को प्राप्त कर ले। संतोष ही परम-धन है । अहोज्ञानियो! सुखमय जीवन जीना है, तो संतुलित भोजन करो, खटाई खाने का त्याग करो और आलस को छोड़कर सूर्योदय के पूर्व उठकर प्रभु भजन करो। मंत्रों के प्रभाव से चित्त प्रसन्न होता है। चित्त को आनन्दित करना है, तो प्राणायाम योग, ध्यान और मंत्र जाप करो। जीवन में उमंग, उत्साह लाना है, तो समय की कीमत समझो । विकास चाहिए तो उमंग के साथ कार्य करो, धैर्य धारण करो सफलता अवश्य मिलेगी। किसी भी कार्य को करने के पूर्व विचार करो कि – लाभ होगा या हानि ? यश मिलेगा या अपयश  ? प्रशंसा होगी या निंदा ? चिंतन बढ़ेगा या चिंता? हित होगा या अहित ? शांति मिलेगी या अशांति ? निर्णय आपको स्वयं करना है । आपको कैसा जीवन जीना है? अनुशासनपूर्ण व्यवस्थित जीवन जियो; आदर्श बनो । वर्तमान का विचार ही तुम्हारे भविष्य का निर्माण करेगा। विचार ही कार्य रूप परिणत होते हैं । बोलने की अपेक्षा मौन रहो। बोलो तो मधुर बोलो। सभा का संचालन पंडित श्रेयांस जैन ने किया । मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया की 30 सितंबर को सुबह 7 बजे से आचार्य संघ के पावन सानिध्य में श्रेयांश नाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव एवं रक्षा बंधन पर्व, ऋषभ सभागार में अत्यंत धूमधाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर आचार्य श्री द्वारा रक्षा बंधन की कथा भी सुनाई जायेगी । सभा मे प्रवीण जैन, सुनील जैन, अतुल जैन,विनोद जैन, वरदान जैन, दिनेश जैन, मनोज जैन, राजेश जैन, वीरेंद्र जैन,अशोक जैन, विमल जैन आदि थे।