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माँ के गर्भ में होता है मनुष्य की गति का निर्धारण : प्रवीण ऋषि

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रायपुर – लालगंगा पटवा भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि मनुष्य की गति का निर्धारण माँ की कोख में होता है। माँ के भाव उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के अंदर आते हैं। माँ के जो भाव, जो गति होगी, वही भाव वही गति गर्भ में पल रहे जीव की भी होगी। भगवती सूत्र में कहा गया है कि अगर माँ युद्ध की चिंता में है तो नर्क की गति मिलेगी, वहीं अगर माँ के अंदर धर्म, श्रद्धा के भाव रहेंगे तो जीव को देव गति मिलेगी। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी है । उपाध्याय प्रवर ने महावीर गाथा के 58वें दिन मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य संभूति विजय विश्वभूति को मौत के मुँह से तो ले आये, लेकिन प्रतिशोध की आग से बाहर नहीं ला पाए। जब तक प्रतिशोध की आग जलती रहती है, सारा धर्म, सारी क्रिया इस आग को बढ़ाती है। प्रतिशोध में किया धर्म कषाय को बढ़ाता है। और जो कोई नहीं कर पाया, वो कोई कर सकती है तो माँ कर सकती है। एक ही जगह है जहाँ व्यक्ति, आत्मा और किसी के आधीन होती है तो वह है गर्भ। जैसे जेल में रह रहा कैदी वही खा सकता है, वही देख सकता, सुन सकता है और महसूस कर सकता है जो सामने रहता है। वैसे ही गर्भ में पल रहा जीव माँ की आंख से आएगा, नाक से आएगा जुबान, से आएगा, स्पर्श से आएगा वही महसूस कर सकता है। अगर माँ गुस्सा करेगी तो वह भी गुस्सा करेगा, माँ डरेगी तो वह भी डरेगा। माँ जिस अध्यवसाय से गुजरती है, उस अध्यवसाय में जीव को जाना ही पड़ता है। मनुष्य की यात्रा शुरू होती है तीन शक्तियों के बल पर। उसके स्वयं के कर्म धर्म, माँ के और पिता के। जब इन तीनों का संगम जीवन में होता है तो क्या कुछ नहीं हो सकता है।

  • जन्मभूमि को श्मशान बनाएगा तो चैन नहीं मिलेगा

प्रभु महावीर ने कहा है कि जो हिंसा, परिग्रह करेगा वह नरक गति में जाएगा। जो माया करेगा तिरंच गति में जाएगा, जो मासूम है वह मनुष्य गति में जाएगा। और जो संयम करेगा वो देव गति में जाएगा। इंद्रभूति गौतम ने प्रभु महावीर से एक अटपटा सा सवाल पूछा। उन्होंने पूछा कि जिसे गर्भ में आने का अवसर मिला लेकिन बाहर निकलने का अवसर नहीं मिला, जिसकी गर्भ में ही आयुष पूरी हो गई हो, वह कहां जाएगा? इस प्रसंग को सुनाते हुए उपाध्याय प्रवर ने गंभीर शब्दों में कहा जिस जीव की गर्भ में ही हत्या हो जाए, तो उसकी गति क्या होगी? उन्होंने कहा कि गर्भपात एक जिंदगी की बर्बादी की कहानी है। जिसे आबाद करने का दायित्व दिया गया वही बर्बाद कर दे, दुनिया में इससे बड़ा कोई पाप नहीं है। जिसे जीवन का पालन-पोषण करने की जिम्मेदारी दी गई, अगर वही क़त्ल कर दे, उसकी गति क्या होगी? जन्मभूमि को श्मशान बनाओगे तो चैन नहीं मिलेगा। परमात्मा ने इंद्रभूति गौतम को जवाब दिया कि वह जीव किसी भी गति में जा सकता है। इंद्रभूति गौतम ने कहा कि जो करेगा वो भरेगा। लेकिन जिसे कर्म करने का अवसर नहीं मिला है, उसके चार गति का विधान आप कैसे कर सकते हैं? किसके आधार पर आप कहते हैं कि वह किसी भी गति में जा सकता है? प्रभु महावीर ने कहा कि माँ की जो गति रहेगी, वही गति उस जीव को मिलेगी। उसका आयुष पूरा होने के समय अगर माँ युद्ध की चिंता में है तो वह जीव नर्क में जाएगा। और यदि माँ के मन में धर्म है, श्रद्धा का वेग है, दान की भावना है तो वह जीव देव गति को प्राप्त करेगा। अगर कोई माँ अपने गर्भ में पल रहे जीव की हत्या कराती है, तो जाते समय वह जीव अपनी माँ को कौन सी दुआ देगा? कल्पना करें कि कोई आपको दगा देता है तो आप क्या करते हो? कोई विश्वासघात करता है तो आप क्या करते हो? वही उस माँ के साथ होता है। प्रवीण ऋषि ने कहा कि जैन समाज पशुवध गृह का विरोध करता है, लेकिन मनुष्यों के कत्लखाने का विरोध क्यों नहीं करता है?

नवकार कलश स्थापना कार्यक्रम के लिए गठित समिति की सदस्य एकता पटवा ने जानकारी देते हुए बताया कि 1 अक्टूबर से लालगंगा पटवा भवन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि आदि ठाणा 2 के सानिध्य में नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान शुरू होने जा रहा है। इस कार्यक्रम के संयोजक राजेश मूणत हैं। 1 अक्टूबर को 24 घंटों का नवकार महामंत्र जाप होगा। इसके बाद 2 अक्टूबर को नवकार कलश अनुष्ठान होगा। इस अनुष्ठान के लिए समिति ने सभी सदस्यों के बीच कार्य विभाजन कर दिया है। किसे क्या करना है, कैसे करना है, कौन किस क्षेत्र को संभालेगा इसके लिए सदस्यों को जिम्मेदारी दे दी गई है। आज धर्मसभा के बाद समिति की बैठक बुलाई गई जिसमे इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई। पंचधातु नवकार कलश के लिए सहयोग राशि 3100 रुपए रखी गई है। नवकार कलश के लिए सकल जैन समाज के सदस्य लालगंगा पटवा भवन में संपर्क कर सकते है।