Home धर्म - ज्योतिष लोभ के कारण संसार के सभी प्राणी दुखी हैं…..अभिषेक जी

लोभ के कारण संसार के सभी प्राणी दुखी हैं…..अभिषेक जी

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भाटापारा – श्री 1008 आदिनाथ नवग्रह पंच बालयती दिगंबर जैन मंदिर भाटापारा छत्तीसगढ़ में पर्यूषण पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज पर्यूषण पर्व का चौथा दिन उत्तम शौच धर्म है। प्रातः काल 7:00 बजे मंगलाष्टक प्रारंभ किया गया, 7:30 पर अभिषेक प्रारंभ हुआ ,आज की शांति धारा का सौभाग्य आलोक मोदी एवं पंकज  गदिया को प्राप्त हुआ। शांति धारा के पश्चात भगवान की मंगल आरती संपन्न हुई ।मंगल आरती के पश्चात सभी ने मिलकर  पर्व पर धूमधाम से पूजा प्रारंभ की सर्वप्रथम देव शास्त्र गुरु पूजा ,सोलहकारण पूजा, पंचमेरू पूजा, दसलक्षण पूजा सम्पन्न हुई। *धर्म सभा को संबोधित करते हुए प्रवचनकार अभिषेक मोदी ने बतलाया कि* धर्म का चौथा लक्षण है उत्तम शौच ,इस शब्द का अर्थ है, स्वच्छता, निर्मलता, उज्जवलता ,सच धर्म का विरोधी लोभ है ,परिग्रह संचय का लोभ, पद का लोभ ,आदि जो समस्त प्रकार के लोभ से दूर रहता है वह पवित्र हृदय वाला व्यक्ति माना जाता है। प्रवचनकर्ता अभिषेक जी ने बतलाया व्यक्ति अपनी इच्छाओं को जितना जितना पूरी करता है ,वह उतनी उतनी और बढ़ती चली जाती हैं। लोग की यह तासीर है कि जितना लाभ बढ़ता जाता है उतना लोभ भी बढ़ता चला जाता है। लोभ के कारण संसार के सभी प्राणी दुखी हैं । मन का पेट बहुत बड़ा है, मन की भूख बहुत गहरी है, शरीर की भूख तो थोड़ी सी है ,पेट की भूख तो साधारण है, दो-चार रोटी से भरा जा सकता है, लेकिन मन को जितना भी मिले उतना थोड़ा है। सुमेरु पर्वत का ढेर लगा दो तब भी थोड़ा है, तब भी मन तृप्त नहीं होता ,मन की आकांक्षाएं  अनगणित होती हैं, अनंत होती है, मनुष्य का मन बड़ा विचित्र है, आज तक किसी का भी मन तृप्त नहीं हुआ है।

एक कहावत है, संतोषी सदा सुखी, जो संतोषी है वह हमेशा सुखी है, और जो असंतोषी है वह हमेशा दुखी है ।जहां चाह है वहां ही दुख है, शहंशाह तो वे हैं जिनकी चाह खत्म हो गई। जिसने लोभ को जीत लिया ,उसी के शौच धर्म होता है, लोभ को ही पाप का बाप कहा जाता है, लोभ ही पाप का कारण है ,उक्त दोहे में समस्त दुराचारों के लिए लोग को ही उत्तरदाई ठहराया है ।लोभी व्यक्ति का मन कभी शांत नहीं रहता । हमें केवल सुख नहीं चाहिए, आसपास के लोगों की अपेक्षा अधिक सुख चाहिए ,हम अपने आप को दूसरों से श्रेष्ठ साबित करने के चक्कर में सदा असंतुष्ट रहते हैं ,पर ध्यान रखना संतोषी सदा सुखी ,और असंतोषी सदा दुखी रहता है ।संतुष्ट व्यक्ति का हृदय अत्यंत निर्मल रहता है ।वह हर काम बड़े उत्साह और प्रसन्नता से करता है । रात्रि में श्री जी की , आचार्य विद्यासागर जी महाराज,  मुनि श्री चिन्मय सागर जी महाराज की मंगल आरती संपन्न हुई । सुरभि मोदी ,नेहा मोदी एवं बेबी अनायसा मोदी द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए गए । आज के कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सुमन लता मोदी, आलोक मोदी, अभिषेक मोदी ,अभिनव, अभिनंदन ,अक्षत , अरिंजय, अविरल मोदी ,नेहा, सुरभि ,रजनी मोदी ,नवीन कुमार ,नितिन कुमार, सचिन कुमार ,पंकज, अक्षत, अंजू ,  भावना गदिया ,संदीप सनत कुमार जैन, निशी जैन आदि उपस्थित थे।