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विज्ञान और अध्यात्म मिल जाएं तो मनुष्य को होगी शांति की अनुभूति : प्रवीण ऋषि

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  • संजीवनी कैंसर अस्पताल में मेडिटेशन शिविर का शुभारंभ

रायपुर – रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि सोमवार को प्रवचन के बाद प्रवीण ऋषि लालगंगा पटवा भवन से विहार करते हुए पचपेढ़ी नाका स्थित संजीवनी कैंसर अस्पताल पहुंचे। यहां आयोजित कैंसर रोगियों के लिए ध्यान कार्यक्रम में उन्होंने गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए मेडिटेशन के प्रयोग के बारे में बताया । संजीवनी कैंसर अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अर्पण चतुरमोहता ने प्रवीण ऋषि का स्वागत करते हुए कहा कि प्रवीण ऋषि सालों से मेडिटेशन, वाइब्रेशन, लेश्या के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने पुणे, हैदराबाद में कई डायलिसिस के मरीजों को मेडिटेशन कराया। उन्होंने  बताया कि कैसे हम मेडिटेशन के जरिये अपनी अंदर की शक्ति को जगा सकते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ सकते हैं। डॉ. चतुरमोहता ने बताया कि इस विषय पर कई देशों में रिसर्च भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने उपाध्याय प्रवर से इस विषय पर चर्चा की तो उन्होंने कहा कि कैंसर मरीजों को भी मेडिटेशन से पॉजिटिव जेनेरेट कर उनकी कैंसर हीलिंग, कीमो थेरेपी के साइड इफेक्ट्स से राहत दिलाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि आज संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल में एक रिसर्च शुरू हो रहा है, जिसमे मेडिटेशन के पहले ऊर्जा नापी जाएगा और मेडिटेशन के बाद ऊर्जा नापी जाएगी। बाद में जांच की जायेगी कि जिन लोगों ने मेडिटेशन किया उनमे बिमारी कितनी कम आती है, और उनके इलाज के साइड इफ़ेक्ट कितने मिलते हैं। 

उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि आज साइंस और आध्यात्म का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि जब विज्ञान और आध्यात्म दोस्त बनकर चलेंगे तो इंसान को शांति की अनुभूति मिलेगी। आज इस परिसर में बुलाने का श्रेय डॉ. अनील गुप्ता और डॉ. अर्पण चतुरमोहता को देता हूं। उन्होंने कहा कि जब पेड़ का पत्ता या फल बीमार होता है तो आप किसका इलाज करते हैं? आप पत्ते या फल का नहीं, जड़ का इलाज करते हैं। क्योंकि बीमारी जड़ में होती है, न कि पत्ते में। पत्ते में तो उसका असर आता है। वैसे ही मनुष्यों में बीमारी का जड़ उसकी आत्मा है। आत्मा शुद्ध रहेगी को बीमारी परेशान नहीं करेगी। उपाध्याय प्रवर ने आज कैंसर मरीजों के लिए मेडिटेशन शिविर का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि एक होती है कलर थेरेपी, (after image color therapy) जिसमे आपो जिस रंग की आवश्यकता है उसकी तरफ देखो। लेकिन इस मेडिटेशन में आपको आंख बंद कर के रंग दिखता है। आपके अंदर के जींस तय करते हैं कि उसे कौन से रंग की आवश्यकता है। इसमें एक-एक कलर कार्ड सबको देते हैं, लेकिन आंख बंदकर के जो रंग दीखते हैं, वो अलग होते हैं।