सिरदर्द से बचने के लिए ली जाने वाली डिस्प्रिन यानी एस्प्रिन दिल के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है. जिन लोगों को दिल का दौरा पड़ चुका हो, डॉक्टर उन्हें रोजाना ये दवा लेने की सलाह देते हैं. शोध बताते हैं कि हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी के लिए रोजाना एस्प्रिन ली जा सकती है. हालांकि इसके कई जोखिम भी हैं.
दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट ‘डॉ श्रीकांत शर्मा’ के अनुसार डिस्प्रिन और एस्प्रिन में खास अंतर नहीं. दोनों ही में एसिटाइल सैलिसिलिक एसिड यानी एएसए होता है. डिस्प्रिन में सॉल्ट यानी मुख्य तत्व एस्प्रिन ही होता है और ये कोटेड दवा होती है. वहीं एस्प्रिन पर कोई कोटिंग नहीं होती और ये कम से लेकर ज्यादा पावर की दवा हो सकती है. दूसरी ओर डिस्प्रिन ज्यादा तेज दवा मानी जाती है और दर्द में तुरंत राहत के लिए इसे प्रेफर किया जाता है. हालांकि किसी भी तरह के दर्द में डॉक्टर की सलाह के बिना इसे लेना सेहत पर बुरा असर डालता है. ये खून को पतला कर देता है और पाचन तंत्र पर भी बुरा असर डालता है.
डिस्प्रिन की टेबलेट सिरदर्द के अलावा शरीर में दर्द, दिल के दौरे में, माइग्रेन, स्ट्रोक, किसी तरह की सूजन, शरीर में अकड़न, बुखार और एक्ने के इलाज के लिए भी ली जा सकती है लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.
ये नॉन-इन्फ्लेमेटरी ड्रग (NSAIDs)के तहत आती है यानी वो दवा जिससे दर्द और सूजन कम होती है. यही वजह है कि इसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक से गुजर चुके लोगों को नियमित खाने की सलाह दी जाती रही, हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन मेडिकल स्कूल में इंटरनल मेडिसिन के प्रोफेसर मार्क फेंड्रिक इससे होने वाले खतरों से भी आगाह करते हैं.
प्रोफेसर फेंड्रिक के अनुसार जब भी आप डिस्प्रिन लेते हैं, आपके पेट की अंदरुनी सतह कमजोर होती जाती है और रक्तस्त्राव की आशंका बढ़ जाती है. यही वजह है कि रोजाना ये दवा लेने वालों को पेट के अल्सर और अंदरुनी ब्लीडिंग का खतरा दोगुना से भी ज्यादा रहता है.
रोजाना कितनी डिस्प्रिन ली जानी चाहिए, इसपर भी विवाद है. 75 मिलीग्राम, 100 मिलीग्राम और 325 मिलीग्राम का डोज़ भी समान रूप से असर करता है तो बीमारी की गंभीरता के हिसाब से किसे, कितनी खुराक मिलनी चाहिए, इसपर अभी भी शोध चल रहे हैं.
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर पीटर वीजबर्ग के अनुसार रोजाना डिस्प्रिन लेने के कई नुकसान हैं. इसमें पेट की खराबी, उल्टियां और अपच सबसे पहले साइड इफेक्ट हैं. ये सीधे पाचन तंत्र पर असर डालता है इसलिए दवा हल्के गुनगुने पानी या दूध के साथ ली जानी चाहिए ताकि साइड इफेक्ट कम हो.
किसी भी तरह की सर्जरी से पहले डिस्प्रिन किसी भी हाल में नहीं ली जानी चाहिए, जब तक कि डॉक्टर खुद न कहें. ये दवा खून को पतला करती है और सर्जरी से पहले दवा लेना खून के जमाव को रोकता है, जिससे रक्तस्त्राव का खतरा बढ़ जाता है. ये जानलेवा हो सकता है.
लंबे वक्त तक डिस्प्रिन लेना लिवर पर बुरा असर डालता है और धीरे-धीरे लिवर खराब होने लगता है. इससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. किडनी की सेहत भी इससे प्रभावित होती है. डिस्प्रिन से एनलजेसिक नेफ्रोपैथी हो सकती है यानी किडनी बिना कोई संकेत दिए कमजोर होती चली जाती है और एक दिन काम करना बंद कर देती है.
NSAID के तहत आने वाली दवा होने के कारण डिस्प्रिन नियमित तौर पर लेना ब्लडप्रेशर बढ़ा देता है. ऐसे में जिन्हें पहले से ही हाई बीपी की शिकायत है, उन्हें ये दवा डॉक्टर की सलाह के बगैर कतई नहीं लेनी चाहिए.